24 News Update इस्लामाबाद/नई दिल्ली। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हालात एक बार फिर विस्फोटक हो गए हैं। लगातार बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और पाकिस्तानी सेना की ज्यादतियों के खिलाफ रविवार और सोमवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। तीन बड़े शहर—रावलकोट, कोटली और मुजफ्फराबाद में दुकानों और बाजारों के शटर पूरी तरह से बंद रहे।
मशाल जुलूस और पथराव
रविवार रात स्थानीय लोगों ने मशालें जलाकर सरकार के खिलाफ जुलूस निकाला। सोमवार सुबह प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों के काफिलों पर पथराव किया। कई जगह सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई भी हुई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोगों को सेना के खिलाफ नारे लगाते और सड़कों पर आजादी के झंडे लहराते देखा जा सकता है।
सेना की गोलीबारी के बाद बढ़ा आक्रोश
कोटली में शनिवार को हुए विरोध के दौरान सुरक्षाबलों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई थीं। इसमें कई लोग घायल हुए। इस घटना के बाद नाराज भीड़ ने सेना के खिलाफ “हम तुम्हारी मौत हैं” जैसे नारे लगाए और सरकारी गाड़ियों को निशाना बनाया।
AAC की अगुवाई
इस विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व अवामी एक्शन कमेटी (AAC) कर रही है। AAC के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा, “हम सिर्फ अपना हक मांग रहे हैं। 70 साल से हमें हमारे अधिकारों से वंचित रखा गया है। अब सरकार को हमारी बात सुननी ही होगी।” AAC ने सरकार के सामने 38 मांगें रखी हैं, जिनमें बिजली और आटे पर सब्सिडी, स्थानीय युवाओं को रोजगार और शरणार्थियों के लिए आरक्षित विधानसभा सीटें खत्म करना शामिल है। स्थिति बेकाबू होती देख पाकिस्तान सरकार ने PoK में सुरक्षा कड़ी कर दी है। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और पत्रकारों की एंट्री पर पाबंदी लगा दी गई है। यहां तक कि स्थानीय रिपोर्टर्स को भी कवरेज से रोका जा रहा है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सरकार की यह कार्रवाई मूलभूत अधिकारों का हनन है।
विरोध की पुरानी जड़ें
PoK में असंतोष कोई नया नहीं है। 2023 में भी बिजली के दाम बढ़ाने और गेहूं पर सब्सिडी हटाने के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन हुए थे। स्थानीय लोग कहते हैं कि मंगला डैम से बिजली उत्पादन होने के बावजूद उन्हें महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है।
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