24 News Update. चित्तौड़गढ। राजकीय महाविद्यालय चित्तौड़गढ़ में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कुछ वक्ताओं द्वारा व्यक्त किए गए वक्तव्यों पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, राजस्थान (उच्च शिक्षा) ने गहरा विरोध जताया है। महासंघ के अध्यक्ष प्रो. मनोज बहरवाल और महामंत्री प्रो. रिछपाल सिंह ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ताओं ने भारतीय सनातन परंपराओं, सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्रीय आस्थाओं के खिलाफ तिरस्कारपूर्ण, व्यंग्यात्मक और अमर्यादित टिप्पणियाँ कीं।
महासंघ ने विशेष रूप से उस वक्तव्य पर आक्रोश व्यक्त किया जिसमें भगवान श्रीराम और माता सीता के वनगमन जैसे गहन आस्था से जुड़े धार्मिक प्रसंगों का उपहास उड़ाया गया था। महासंघ ने इसे देशवासियों की धार्मिक भावनाओं का घोर अपमान बताया और कहा कि ऐसा कृत्य किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता। महासंघ ने कहा कि राजकीय महाविद्यालय चित्तौड़गढ़ को विद्या, संस्कृति और राष्ट्रनिर्माण का केंद्र होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश यह साहित्य के नाम पर समाज को दिग्भ्रमित करने और तोड़ने वाले विचारों का मंच बन गया। महासंघ ने यह भी कहा कि संगोष्ठी में जिन वक्ताओं को बुलाया गया था, वे समाज में विघटन फैलाने वाले और राष्ट्र विरोधी विचारों के समर्थक माने जाते हैं।
महासंघ ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और महाविद्यालय प्रशासन की भूमिका और संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ताओं की पृष्ठभूमि की गहन समीक्षा करने की अपील की है। इसके अलावा, महासंघ ने दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की भी मांग की है। प्रो. रिछपाल सिंह ने कहा, “साहित्य और शिक्षा का उद्देश्य समाज में एकता और अखंडता को बढ़ावा देना होना चाहिए, न कि समाज को तोड़ने और विभाजित करने वाले विचारों को बढ़ावा देना।“ महासंघ ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
महासंघ ने उच्च शिक्षा मंत्रालय से भी इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई की अपील की है ताकि भविष्य में शिक्षा के संस्थानों को इस प्रकार के राष्ट्रविरोधी विचारों का मंच बनने से रोका जा सके।
चित्तौड़गढ। राजकीय महाविद्यालय चित्तौड़गढ़ में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कुछ वक्ताओं द्वारा व्यक्त किए गए वक्तव्यों पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, राजस्थान (उच्च शिक्षा) ने गहरा विरोध जताया है। महासंघ के अध्यक्ष प्रो. मनोज बहरवाल और महामंत्री प्रो. रिछपाल सिंह ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ताओं ने भारतीय सनातन परंपराओं, सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्रीय आस्थाओं के खिलाफ तिरस्कारपूर्ण, व्यंग्यात्मक और अमर्यादित टिप्पणियाँ कीं।
महासंघ ने विशेष रूप से उस वक्तव्य पर आक्रोश व्यक्त किया जिसमें भगवान श्रीराम और माता सीता के वनगमन जैसे गहन आस्था से जुड़े धार्मिक प्रसंगों का उपहास उड़ाया गया था। महासंघ ने इसे देशवासियों की धार्मिक भावनाओं का घोर अपमान बताया और कहा कि ऐसा कृत्य किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता। महासंघ ने कहा कि राजकीय महाविद्यालय चित्तौड़गढ़ को विद्या, संस्कृति और राष्ट्रनिर्माण का केंद्र होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश यह साहित्य के नाम पर समाज को दिग्भ्रमित करने और तोड़ने वाले विचारों का मंच बन गया। महासंघ ने यह भी कहा कि संगोष्ठी में जिन वक्ताओं को बुलाया गया था, वे समाज में विघटन फैलाने वाले और राष्ट्र विरोधी विचारों के समर्थक माने जाते हैं।
महासंघ ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और महाविद्यालय प्रशासन की भूमिका और संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ताओं की पृष्ठभूमि की गहन समीक्षा करने की अपील की है। इसके अलावा, महासंघ ने दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की भी मांग की है। प्रो. रिछपाल सिंह ने कहा, “साहित्य और शिक्षा का उद्देश्य समाज में एकता और अखंडता को बढ़ावा देना होना चाहिए, न कि समाज को तोड़ने और विभाजित करने वाले विचारों को बढ़ावा देना।“ महासंघ ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
महासंघ ने उच्च शिक्षा मंत्रालय से भी इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई की अपील की है ताकि भविष्य में शिक्षा के संस्थानों को इस प्रकार के राष्ट्रविरोधी विचारों का मंच बनने से रोका जा सके।

