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और उग्र हुआ कुलगुरू गद्दी छोड़ो आंदोलन, माफी खारिज, श्री राजपूत करणी सेना का अल्टीमेटम, मंत्री खराड़ी बोले-माओवादी सोच बर्दाश्त नहीं

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति सुनीता मिश्रा के औरंगजेब को कुशल शासक बताने वाले बयान पर जारी विवाद अब इतना ज्यादा उग्र हो गया है कि राजनीतिक तिकड़मबाजियों और पुलिस की कार्रवाई का भी इस पर कोई असर नहीं हो रहा है। यूपी की पावर पॉलिटिक्स भी इसके आगे फेल होती हुई नजर आ रही है। जयपुर से आईएस लॉबी की ओर से किए जा रहे प्रयास अबकी बार नाकारा साबित हो रहे हें। कल रात को भारी विरोध के बाद जिस तरीके से पुलिस कार्रवाई हुई उसे लेकर आज संगठनों में भारी आक्रोश देखा गया। श्री राजपूत करणी सेना की ओर से कुलगुरू को गद्दी छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया गया। आनन फानन में बुलाई गई प्रेसवार्ता में डॉक्टर परमवीरसिंह दुलावत संभाग अध्यक्ष ने जोशीले शब्दों में कहा कि मेवाड़ में ओरंगजेब की बात करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कुलपति को बर्खास्त करना ही होगा। फिर चाहे जो करना पड़े। उदयपुर भी बंद होगा और अब सीधी कार्रवाई की जाएगी। होटल रॉयल हिस्टोरिया में हुई प्रेसवार्ता में कमलेन्द्रसिंह पंवार, दिनेश मकवाना, रविकान्त त्रिपाठी, नानालाल वया, मयुर ध्वज सिंह, दिनेश शर्मा सहित एबीवीपी पदाधिकारी मौजूद थे। वीडियो जारी कर डॉक्टर परमवीरसिंह ने कहा कि कुलपति ने जो माफी मांगी है वो स्वीकार्य नहीं है। अब उन्हें पद छोड़ना ही होगा।
छात्रों और संगठनों का विरोध आज भी जारी रहा। विश्विद्यालय का प्रवेश द्धार ही बंद कर दिया गया। ऐसे में परिसर में रहने वालों को आने जाने में भारी परेशानी हुई। सभी कॉलेजों में कोई भी कार्य नहीं हुआ। इस विरोध के बीच कुलपति ने वीडियो संदेश जारी करके मेवाड़ की जनता और राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना सहित सर्वसमाज से माफी मांगी। कुलपति ने कहा कि “12 सितंबर को ‘विकसित भारत का रोडमैप’ विषय पर सेमिनार हुआ था। उसमें भूलवश कुछ ऐसा बोल गई, जिससे समाज की भावनाएं आहत हुईं। इसके लिए मैं मेवाड़ की जनता, राजपूत समाज और सर्वसमाज से क्षमा चाहती हूं।” आपको बता दें कि कल रात को भारी विरोध के बाद जब कुलपति को पुलिस जाब्ते में बाहर लाया गया तब भी कुलपति मुस्कुरा रहीं थीं। लेकिन आज माफी मांगते समय उनकी मुस्कुराहट गायब दिखी। ऐसे में अब दबाव बनता हुआ व उसका असर होता हुआ साफ दिखाई दे रहा हैं इसके अलावा पहली बार कुलपति ने अपने निवास पर एसएफएबी कर्मचारी को बुलाने की बात भी मीडिया में स्वीकारी जिसके लिए वो बार बार मना कर रही थी। उनकी इस बात से फिर से सवाल उठ गए कि आखिर कैसे कुलपति ने गलत तरीके से लाइब्रेरी में काम करने वाली कर्मचारी को अपने निवास पर बिना वहां अपॉइंटमेंट दिए हुए बुलाया। इसके बाद जब इसी कर्मचारी ने कुलपति पर अभद्रता का आरोप लगाया तो उसे फिर से लाइब्रेरी में ज्वाइन ही नहीं करने दिया जा रहा हैं। हालत यह है कि राज्यपाल, डिप्टी सीएम को ज्ञापन के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पुलिस परिवार पर भी कार्रवाई नहीं कर रही है।
मंत्री खराड़ी ने साधा निशाना
राज्य के जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि कुलपति का यह वक्तव्य अस्वीकार्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि “ऐसे बयान देने से लगता है कि वे कहीं न कहीं माओवादी विचारधारा से प्रभावित हैं। इस तरह का आचरण करने वाले कुलगुरु को बर्खास्त किया जाना चाहिए।”
मंत्री ने कहा कि “अगर औरंगजेब जैसा व्यक्ति कुशल प्रशासक था, तो क्या उन्हें यह नहीं पता कि उसने देश पर कैसा अत्याचार किया? एक अच्छे शासक का उदाहरण देखना हो तो राणा सांगा को देखना चाहिए।” खराड़ी ने कहा कि कुलपति को हमारे वास्तविक इतिहास का अध्ययन करना चाहिए।
मंत्री बोले कि कुलपति की टिप्पणी लोकतांत्रिक और शैक्षणिक मर्यादा के विपरीत है।
गौरतलब है कि 12 सितंबर को सुखाड़िया विश्वविद्यालय में आयोजित एक सेमिनार के दौरान कुलपति सुनीता मिश्रा ने औरंगजेब को “कुशल शासक” बताया था। इसके बाद छात्रों ने लगातार तीन दिनों तक विरोध प्रदर्शन किए। मामला तूल पकड़ने पर कुलपति को माफी मांगनी पड़ी।

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