17 किलोमीटर का जंगल, 4 किलोमीटर का हक—आदिवासी ग्रामीणों का प्रशासन से सवाल
24 News Update. उदयपुर। आम्बुआ गांव को डेडकिया पंचायत में शामिल किए जाने के विरोध में सोमवार को ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। मेवाड़ किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए, जिन्होंने प्रशासनिक फैसले को अव्यावहारिक और जनविरोधी बताते हुए आम्बुआ गांव को उमरड़ा पंचायत में शामिल करने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि डेडकिया पंचायत तक पहुंचने के लिए उन्हें 17 किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ता है, जो घने वन क्षेत्र से होकर गुजरता है। इसके विपरीत उमरड़ा पंचायत मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसे में पंचायत से जुड़े छोटे-छोटे कामों के लिए भी ग्रामीणों को लंबा और जोखिमभरा सफर करना पड़ता है।
ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2015 से पहले आम्बुआ गांव कानपुर पंचायत में था। इसके बाद प्रशासनिक बदलाव के तहत पहले उमरड़ा और अब नई डेडकिया पंचायत में जोड़ दिया गया। पटवारी रिकॉर्ड में आम्बुआ और डेडकिया की दूरी ढाई किलोमीटर दर्ज है, लेकिन बीच में अहमदाबाद रेलवे लाइन और जंगलात की जमीन होने के कारण यह रास्ता व्यवहारिक नहीं है। वर्तमान में उमरड़ा होते हुए डेडकिया पंचायत जाना पड़ता है, जिससे दूरी 17 किलोमीटर हो जाती है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पहले भी विधायक के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन सरकार और प्रशासन ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया। प्रशासन की ओर से सड़क निर्माण का आश्वासन दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जंगलात क्षेत्र में सड़क के लिए एनओसी मिलने में वर्षों लग सकते हैं। ऐसे में पंचायत पहले तय कर दी गई और रास्ते की बात बाद में करना गरीब व आदिवासी ग्रामीणों के साथ अन्याय है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं हुआ तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान “एकलिंग नाथ की जय”, “भारत माता की जय”, “इंकलाब जिंदाबाद” और “हम हमारा हक मांगते हैं, किसी से भीख नहीं” जैसे नारे गूंजते रहे।

