24 न्यूज अपडेट. हितेश पालीवाल धरियावद (प्रतापगढ़), 4 जुलाई। सीतामाता सेंचुरी क्षेत्र में तेंदूपत्ता ले जा रहे ट्रैक्टर की जब्ती को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। ठेकेदार पक्ष ने सेंचुरी टीम पर मजदूरों से मारपीट, मोबाइल और नकद रुपए छीनने का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, वहीं वन विभाग ने अवैध परिवहन और तस्करी की आशंका जताई है।
रात 12:30 बजे हुई कार्रवाई, ठेकेदार बोले – फर्जी पंचनामा और बदले की भावना
यह मामला 29 मई की रात करीब 12:30 बजे का है, जब धरियावद रेंज के डाबियाखेड़ा स्थित अधिकृत तेंदूपत्ता फड़ से पत्तों की 32 बोरियां एक ट्रैक्टर में भरकर पास के खेत में स्थानांतरित की जा रही थीं। ठेकेदार अर्जुनलाल पालीवाल के अनुसार, बारिश की आशंका और खेत मालिक द्वारा जुताई की तैयारी के कारण पत्तों को सूखाने के लिए सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा था।
इसी दौरान सीतामाता सेंचुरी टीम के एसीएफ राममोहन मीणा, रेंजर समेराराम व अन्य वनकर्मियों ने ट्रैक्टर को रोका। आरोप है कि टीम ने मौके पर मजदूरों के साथ मारपीट की, 5 मोबाइल फोन व नकद राशि छीनी, और दस्तावेजों की जांच किए बिना ट्रैक्टर जब्त कर लिया।
वीडियो बनाने पर धमकी, एसीएफ पर लठ्ठ से हमला करने का आरोप
ठेकेदार पक्ष का कहना है कि जब मजदूरों ने पूरी कार्रवाई का वीडियो बनाना चाहा, तो एसीएफ ने लठ्ठ लेकर दौड़कर मोबाइल छीन लिया और भय का माहौल बनाया। अर्जुनलाल के भतीजे ने जब वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश की तो उसे भी धमकाया गया। ठेकेदारों ने दावा किया है कि फर्जी पंचनामा नागलिया नहर क्षेत्र का बनाकर प्रस्तुत किया गया, जबकि GPS लोकेशन ट्रैक्टर की राजस्व भूमि व टेरिटोरियल फॉरेस्ट एरिया में मौजूदगी दर्शाती है, जो सीतामाता सेंचुरी से लगभग 1.5 किमी दूर है।
ब्लैकमेलिंग का आरोप, 70 हजार रुपये की मांग का दावा
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया है कि एसीएफ द्वारा 70,000 रुपये की अनधिकृत मांग की गई थी, और जब ठेकेदारों ने मना किया, तो बदले की भावना से यह कार्रवाई की गई। प्रकरण में FIR नंबर 395/2025 थाना धरियावद में 11 जून को दर्ज कराई गई है। इसके बाद ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री, वन मंत्री, मुख्य वन संरक्षक, सांसद और अन्य अधिकारियों को ज्ञापन भेजकर निष्पक्ष जांच और एसीएफ के स्थानांतरण की मांग की है।
“तेंदूपत्ता अधिनियम की अवहेलना”, ट्रैक्टर अब तक वापस नहीं
ज्ञापन में तेंदूपत्ता अधिनियम की धारा 22 का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस अधिनियम के तहत अन्य विधियों की कार्रवाई नहीं की जा सकती। साथ ही कहा गया कि जब ठेकेदार रेंज कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें धक्के देकर बाहर निकाल दिया गया, और अब तक कोई आधिकारिक नोटिस भी नहीं दिया गया है।
ज्ञापन में सीजर मेमो की विसंगतियां, GPS लोकेशन, और आर्थिक नुकसान का विस्तृत ब्यौरा भी संलग्न किया गया है।
वन विभाग का पक्ष – “अवैध परिवहन, ड्राइवर भाग गया”
दूसरी ओर, वन विभाग का कहना है कि ट्रैक्टर नागलिया नहर के पास अवैध रूप से तेंदूपत्ता ले जा रहा था। विभाग की टीम ने 27 बोरियां जब्त की और ड्राइवर मौके से फरार हो गया। एसीएफ राममोहन मीणा ने कहा कि “हमारी कार्रवाई साक्ष्यों के आधार पर की गई है, जांच चल रही है और जांच के बाद प्रेस नोट जारी किया जाएगा। कौन क्या कह रहा है इससे फर्क नहीं पड़ता, हमारे पास सबूत हैं।”
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि विभाग की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रेस नोट जारी नहीं किया गया है, जबकि एक माह बीत चुका है और कार्रवाई को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं।
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