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AI से टिकट “सेट” करने का खेल बेनकाब, Gemini से एडिट किया UTS टिकट, जयपुर स्टेशन पर 7 यात्री रंगे हाथ पकड़े

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जयपुर। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शॉर्टकट समझने वालों को जयपुर रेलवे स्टेशन पर करारा सबक मिला। AI टूल की मदद से UTS टिकट में डिजिटल हेरफेर कर सफर कर रहे सात यात्रियों का पूरा खेल टिकट चेकिंग स्टाफ ने जांच के दौरान ही बिगाड़ दिया। तकनीक के भरोसे रेलवे को चकमा देने की कोशिश नाकाम रही और कानून ने आख़िरकार अपना काम किया।

यहीं से कहानी में ट्विस्ट आया।

मोबाइल स्क्रीन पर दिख रहा UTS टिकट सात वयस्क यात्रियों के नाम का था और किराया ₹1505 दर्शाया गया था। अनुभवी TTE को तुरंत शक हुआ, क्योंकि रेलवे नियमों के मुताबिक अनारक्षित UTS टिकट अधिकतम चार यात्रियों के लिए ही जारी होता है। शक की यह सुई सही दिशा में घूमी और पूछताछ सख्त होती चली गई।

24 न्यूज अपडेट को मिली जानकारी के अनुसार सख्ती बढ़ते ही यात्रियों का आत्मविश्वास ढह गया। पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि उन्होंने AI टूल “Gemini” की मदद से टिकट में डिजिटल बदलाव किया है। असल में टिकट सिर्फ एक यात्री के लिए था, जिसकी कीमत ₹215 थी। उसी टिकट की फोटो लेकर यात्रियों की संख्या बढ़ाई गई, किराया बढ़ाया गया और मोबाइल स्क्रीन पर उसे सात यात्रियों का वैध टिकट दिखाने की कोशिश की गई।

24 न्यूज अपडेट को मिली जानकारी के अनुसार फर्जीवाड़े की पुष्टि के लिए जैसलमेर स्टेशन से टिकट रिकॉर्ड का मिलान कराया गया, जहां से पूरी सच्चाई सामने आ गई। साफ हो गया कि यह कोई गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित डिजिटल धोखाधड़ी का मामला है—और वो भी रेलवे जैसे संवेदनशील तंत्र के साथ।

रेलवे नियमों के तहत तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी 7 यात्रियों पर संयुक्त रूप से ₹2790 का जुर्माना लगाया गया। इसके साथ ही मामले में कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है, ताकि भविष्य में ऐसी हरकत करने वालों को साफ संदेश मिल सके।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि AI एक सुविधा है, हथियार नहीं। टिकट, दस्तावेज़ या पहचान से छेड़छाड़ करना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह गंभीर आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में आगे चलकर जेल तक का रास्ता खुल सकता है।

रेलवे प्रशासन ने यात्रियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सुविधा के लिए करें, धोखाधड़ी के लिए नहीं। वैध टिकट के साथ यात्रा करें, क्योंकि AI से किया गया जुगाड़ एक न एक दिन जांच की रडार में जरूर आता है।

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