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उदयपुर में दो जैनाचार्यों का आध्यात्मिक संगम, श्रद्धा से उमड़ा जनसैलाब, महाप्रज्ञ विहार से आचार्य महाश्रमण का विहार

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24 News Update उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर बुधवार को दुर्लभ आध्यात्मिक क्षणों का साक्षी बना, जब तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण महाप्रज्ञ विहार से विहार कर आगे बढ़े। हजारों श्रावक-श्राविकाएं धवल-विहार के साथ उमड़े और जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। विहार के दौरान जनमेदिनी आचार्यश्री के प्रस्थान से भावुक हो उठी। विहार के दौरान आचार्य महाश्रमण जब देवेन्द्रधाम पहुंचे तो यहां राष्ट्रसंत पुलकसागर महाराज से उनका आध्यात्मिक मिलन हुआ। करीब 15 मिनट के इस आध्यात्मिक संवाद में दोनों जैनाचार्यों ने जैन एकता का संदेश दिया और कहा कि “अगर ऊपर का एक बटन गलत लग जाए तो नीचे के सभी बटन ग़लत हो जाते हैं”—यानी एकता की शुरुआत संतों से ही हो।

तीसरे जैनाचार्य देवेन्द्रमुनि की समाधि पर इस मिलन को ‘मनिकांचन योग’ कहा गया। बड़ी संख्या में तीनों संप्रदायों के श्रावक इस क्षण के साक्षी बने। इस अवसर पर आरके ग्रुप के अशोक पाटनी व विमल पाटनी भी मौजूद रहे।
प्रात: धर्मसभा में आचार्य महाश्रमण ने दान की व्याख्या करते हुए कहा— “विद्या, वस्त्र, अर्थ जैसे कई दान हैं, परंतु अभयदान सर्वोपरि है क्योंकि यह जीवन बचाने का संकल्प है।”
उन्होंने एक राजा और तपस्वी की कहानी के माध्यम से समझाया कि अहिंसा और प्राणी संरक्षण ही अभयदान का सार है। साधना की महिमा बताते हुए कहा कि अमृतकाल में किया गया सामयिक सबसे श्रेष्ठ होता है। संयम, साधना और तप से मोह-माया व कषायों से मुक्ति मिलती है।

श्रावकों की भीड़, पंचरंगी पांडाल खचाखच भरा
महाश्रमण के उदयपुर प्रवास के तीसरे दिन भोर से ही श्रद्धालु कतारों में खड़े हो गए। महाप्रज्ञ विहार का पंचरंगी पांडाल पूरी तरह भर गया, बाहर भी उतनी ही भीड़ उमड़ी। चौदह साल बाद आचार्यश्री के आगमन को लेकर उत्साह चरम पर रहा। विहार के दौरान लगातार जयकारे होते रहे। आचार्यश्री उदयपुर से राजसमंद की ओर बढ़ गए और रात्रि विश्राम सुखेर-अंबेरी क्षेत्र में किया।

आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार—जनजाति मंत्री ने लिया आशीर्वाद
सभा में जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा— “आप जैसे संतों की वजह से ही समाज में नैतिकता और शांति कायम है।” साथ ही उन्होंने उदयपुर में व्याप्त आध्यात्मिक ऊर्जा का उल्लेख किया। इस अवसर पर लक्ष्मण सिंह कर्णावट की आत्मकथा का विमोचन आचार्य महाश्रमण ने किया। उन्होंने कर्णावट परिवार की सेवाओं की सराहना करते हुए पूर्व में दी गई ‘श्रद्धानिष्ठ शासनसेवी’ उपाधि का भी उल्लेख किया। पूरे आयोजन में तेरापंथ सभा, युवक परिषद, महिला मंडल, किशोर मंडल और कन्या मंडल की टीमें पूरी तत्परता से जुटी रहीं।
कार्यक्रम में जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी, विनोद फांदोत, प्रकाश कोठारी, विधायक फूलसिंह मीणा समेत जैन समाज के प्रमुखजन उपस्थित रहे।

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