24 news Update उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण इन दिनों अपनी धवल वाहिनी के साथ त्याग, शौर्य और अहिंसा का संदेश लिए मेवाड़ की पवित्र भूमि पर अहिंसा यात्रा के माध्यम से आगे बढ़ रहे हैं। उनके आगमन से पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक उत्साह का माहौल है।
मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार प्रातः कीका भाई धर्मशाला केसरिया जी से विहार कर ऋषभ संस्थान परसाद में पदार्पण किया। शाम को पुनः विहार कर वे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बारां पहुंचे, जहां मार्ग में श्रावक-श्राविकाओं द्वारा उत्साहपूर्वक धवल वाहिनी का स्वागत किया गया।
इसी दौरान परसाद में सलूंबर विधायक शांता देवी ने आचार्य महाश्रमण के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। शनिवार को आचार्य महाश्रमण धवल वाहिनी के साथ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय टीडी के लिए विहार करेंगे।
फत्तावत ने बताया कि विहार के मध्य वरदान सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आचार्य श्री का आगमन हुआ, जहां निदेशक विकास जैन ने उनका स्वागत किया। आचार्य महाश्रमण ने शिक्षकों व विद्यार्थियों को उत्कृष्ट जीवन और चरित्र निर्माण की प्रेरणा प्रदान की। जैसे-जैसे यात्रा मेवाड़ में आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे विभिन्न क्षेत्रों के श्रद्धालु दर्शन, सेवा और उपासना के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। मेवाड़ कांफ्रेंस के कार्यकर्ता भी अपनी सेवाओं से यात्रा को सुचारू रूप से संचालित कर रहे हैं।
विहार के उपरांत अपने प्रवचन में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि कर्मवाद का सार यही है कि मनुष्य को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। इसलिए व्यक्ति को पापकारी प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए और यथासंभव दूसरों की बुराई करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्मों की निर्जरा हेतु धर्म, साधना और सेवा ही प्रमुख साधन हैं, जिनसे शुभ कर्मों का उदय होता है और आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। कार्यक्रम में सलूंबर विधायक शांता देवी, सकल जैन समाज परसाद के अध्यक्ष हेमराज कोठारी, ऋषभ संस्थान परसाद के प्रधानाचार्य शैलेन्द्र पंड्या, ट्रस्टी ठाकुर मोहन सिंह, हरिसिंह राणावत, हरीश तेली, राजेंद्र तेली सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। साहित्य-समर्पण उपरना और स्मृति चिन्ह से अतिथियों का सम्मान भी किया गया। अंत में उपस्थित जनसमुदाय ने मंगल पाठ का श्रवण किया।
मार्ग सेवा में किशनलाल डागलिया, राजकुमार फत्तावत, भूपेंद्र चोरड़िया, बलवंत रांका, कमलेश कच्छारा, सूर्य प्रकाश मेहता, विनोद मांडोत, महावीर मेडतवाल, ज्ञान बडोला, हर्ष नवलखा, कमल बीकानेरिया और अन्य कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आचार्य महाश्रमण 25 व 26 नवम्बर को उदयपुर में
आचार्य महाश्रमण आगामी 25 व 26 नवम्बर को उदयपुर, 29 नवम्बर को नाथद्वारा, 30 नवम्बर को कांकरोली, 1 दिसम्बर को राजसमंद, 2 दिसम्बर को केलवा तथा 5 दिसम्बर को दिवेर में प्रवास करेंगे। इन सभी स्थानों पर तेरापंथ सभाओं द्वारा धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
व्यक्ति को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है : आचार्य महाश्रमण

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