24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर। दिनांक 14 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक चले रेस्क्यू अभियान के अंतर्गतओमवीर प्रभु जी को रेस्क्यू कर सेवा देखभाल एवं पुनर्वास हेतु बेदला स्थित अपना घर आश्रम उदयपुर में भर्ती किए गए थे। आश्रम प्रभारी सुल्तान सिंह ने बताया कि रेस्क्यू के समय प्रभु जी की मानसिक स्थिति एवं उनकी वेशभूषा बहुत ही दयनीय थी आश्रम में आने के बाद प्रभु जी का अभिषेक कर और उपचार जारी किया। काउंसलिंग के दौरान प्रभु जी ने अपनी मां का मोबाइल नंबर बताया मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो उनकी मां रामवती देवी जी से बात हुई एवं मां बेटे की फोन से बात कर कर पुष्टि की गई। सूचना मिलने पर आज दिनांक 5 नवंबर 2024 को ओमवीर प्रभु जी की मां श्रीमती रम्मती देवी एवं उनके पड़ोसी भाई श्री संतोष कुमार अपना घर आश्रम उदयपुर में इनको लेने के लिए आए। मां ने बताया कि यह घर पर रोज शाम को आ जाता था लेकिन एक महीने से यह घर नहीं आया तो मेरा रो रो के बुरा हाल था हमने काफी जगह इसको तलाश किया लेकिन यह हमें कहीं नहीं मिला। जब अपना घर आश्रम उदयपुर से फोन आया तब पता चला कि मेरा पुत्र तो उदयपुर में है। यह जानकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और सूचना मिलते ही मैं अपने पड़ोसी के साथ उदयपुर आश्रम में आई। पड़ोसी संतोष कुमार ने बताया कि वृद्ध मां अकेली दिल्ली स्थित अपने घर में रहती हैं। बड़ा बेटा फौज में हैं परंतु वह भी मां की देखभाल नहीं करता । छोटा बेटा ओमवीर उनके साथ ही रहता हैं। वो भी सात महीने फौज में रहा वहां से लौट आया।
माताजी ने आश्रम में कार्यरत सभी सेवा साथियों का एवं आश्रम प्रबंधन समिति का आभार धन्यवाद प्रकट किया। आश्रम की आवश्यक कार्यवाही पूर्ण कर श्री ओमवीर प्रभु जी को अरावली लायंस ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष श्रीमान रूपलाल जी जैन एवं आश्रम सचिव श्रीमान गोपाल जी कनेरिया द्वारा प्रभु जी का तिलक लगाकर एवं उपरणा पहनाकर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इनकी मां रामवती देवी जी एवं पड़ोसी भाई संतोष कुमार के साथ इनके बताएं पते के लिए विदा किया।
भाई का भाई से मिलन
दिनांक 3 नवंबर को अपने बिछुड़े भाई को लेने भीम के पास जस्सा खेड़ा से भाई आया। अपना घर आश्रम सचिव गोपाल कनेरिया ने बताया कि बिछड़े हुए को अपनों से मिलन की कड़ी में लगभग 9 महा पूर्व नाथद्वारा से मानसिक, लावारिस हालत में घूमते हुए श्री ईश्वरनाथ प्रभु जी का रेस्क्यू कर अपना घर आश्रम उदयपुर में भर्ती किए गए थे। भर्ती के उपरांत नियमित प्रभुजी की चिकित्सा उपचार चलाया गया, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ और सुधार इतना हुआ कि वह आश्रम के संपूर्ण छोटे-मोटे कार्यों में हाथ बटाने लगे।
आश्रम में काउंसलिंग के दौरान प्रभु जी ने अपना घर का पता जस्सा खेड़ा भीम के पास का होना बताया । भीम गांव के सेवाभावियों के पास ईश्वर नाथ प्रभु जी के फोटो भेजें जिससे उन्होंने आगे व्हाट्सएप ग्रुप में फोटो शेयर किए तो वहां से उनके भाई का फोन आया तब ईश्वर नाथ प्रभु जी की आश्रम में रहने की सूचना इनके भाई चंदन सिंह को मिली। सूचना मिलने पर भाई चंदन सिंह इनको लेने अपना घर आश्रम उदयपुर में आए। भाई चंदन सिंह द्वारा आश्रम में प्रभुजनों को प्रदान की जा रही उत्कृष्ट सेवाओं से प्रभावित होकर कहा कि आप ईश्वर को यही रहने दे तो अच्छा है ,लेकिन प्रभु जी ईश्वर घर जाने को इच्छुक थे। भाई के द्वारा बताया गया कि ईश्वर प्रभु जी की शादी एक पुलिस वाले की बेटी से हुई थी और यह पहले प्लम्बर का कार्य करता था । परिस्थितियों के विपरीत होने पर इनका मानसिक संतुलन खराब हुआ जिसके चलते उनकी पत्नी भी इनको छोड़ कर चली गई। पत्नी के जाने के बाद यह और ज्यादा असंतुलित हो गए और सडक़ों पर लावारिस हालत में घूमने लगे। हम अपना घर आश्रम के सदैव आभारी रहेंगे कि उन्होंने मेरे भाई की मानसिक स्थिति में सुधार लाया। आश्रम की आवश्यक कार्यवाही पूर्ण करके आश्रम सचिव श्री गोपाल जी कनेरिया एवं उपाध्यक्ष श्रीमान लक्ष्मी नारायण जी कुमावत द्वारा प्रभु जी को तिलक लगाकर एवं ऊपर्णा पहनाकर बड़े ही प्रसन्नता पूर्वक ईश्वरनाथ प्रभुजी को इनके भाई श्री चंदन सिंह को इनके बताए पते रूपनगर, अरनाली जस्सा खेड़ा अजमेर के लिए विदा किए।
80 साल की मां दिल्ली से अपने बेटे को लेने आई अपना घर आश्रम तो छलक आई आंखें

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