24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। गोगुंदा में शराब की दुकानों पर थानेदार साहब के पुलिसिया रौब और पद के प्रभाव के सुरूर से परेशान शराब कारोबारियों ने कल प्रदर्शन किया था, ज्ञापन दिया था और बताया था कि किस प्रकार से उनका धंधा चौपट कर दिया गया है। दुकानों पर पुलिस का पहरा बिठा दिया है। शराब खरीदने आने वालों पर राठौड़ी कार्रवाई और वसूली हो रही है। लीगल मदिरा की आवाजाही पर पुलिस का सुरूर आड़े आ रहा है, जमकर जब्ती हो रही है। कोर्ट से थानेदार साहब की क्लास लग गई मगर मंजर नहीं बदला। इन तल्खियों के बाद भी राहत नहीं मिली तो आज फिर व्यापारी आबकारी विभाग पहुंचा और अपने वीडियो बयान में दो टूक कह दिया कि 75 हजार की मंथली जा रही थी जिसे बढ़ाकर 1 लाख करने को लेकर परेशान किया जा रहा था। सबकी पाई-पाई का हिसाब रजिस्टर में लिखा हैं। रजिस्टर की एंट्री भी दिलचस्प हैं व आर्थिक अनुदान के साथ ही कई अन्य राज भी खोलता है। पाठकों को उसे भी गौर से पढ़ना चाहिए ताकि पता चल सके कि आबकारी की दुनिया में अंदरखाने सिस्टम आखिर चलता कैसे है। वैसे तो आबकारी विभाग में मंथली की गंगा चिरकाल से कल-कल करते हुए बहती आ रही है और लाभार्थियों व देनदारों के बीच में एक म्यूच्यूअल अंडरस्टेंडिंग होती है मगर जब-जब ये कैमेस्ट्री बिगड़ती है, समय-समय पर इसको लेकर हंगामें हो जाते हैं व बातें जनता की अदालत तक पहुंच जाती है। एक पक्ष अचानक पीड़ित हो जाता है तो दूसरा पीड़ा देने वाला। सिस्टम कुछ ऐसा हो गया है कि हर बार समस्या का सेटलमेंट करके बोतल पर ढक्कन लगा दिया जाता है। देखना है इस मामले में आने वाले दिनों में क्या कुछ होता है। व्यापारियों की ओर से जारी वीडियो बयान में जो आरोप लगाए गए हैं वे गंभीर किस्म के हैं। जो कच्चे चिट्ठे हैं उन पर देनदारियों के जो सुबूत हैं वो खुद गवाही दे रहे हैं कि आबकारी के ठेके चलाने वालों को क्या-क्या आर्थिक दस्तूर नहीं निभाने पड़ते हैं। उनका एसपी को संज्ञान लेकर तुरंत सख्त कार्रवाई कर सिस्टम को मजाक बनाने वालों का सुरूर उतार देना चाहिए ताकि पुलिस का इकबाल बुलंद हो। जांच होगी तो दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा। इस मामले में थानेदार साहब का पक्ष अभी प्राप्त नहीं हुआ है। प्राप्त होते ही अगले समाचार में अवगत करवा दिया जाएगा।
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