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24 न्यूज अपडेट मुद्दा : सड़क पर चढ़ा दी सड़क, दुकान-मकानों के लेवल आए नीचे, विधानसभा में उठे सवालों पर सरकार का सफेद झूठ-सब कुछ ठीक है!! अब मुद्दा जनता की अदालत में, मुद्दा बनाओ, प्लिंथ लेवल सरकारी स्तर पर तय करवाओ!!

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। राजस्थान में शहरी क्षेत्रों में सड़क निर्माण के नाम पर ठेकेदारों की मनमर्जी खुलकर हो रही हैं। सड़कों पर नई परत चढ़ाने का सिलसिला ऐसा चल रहा है कि पूरे राज्य में मकानों और दुकानों का कुर्सी स्तर अब सड़कों से नीचे आ गया है। बरसात में पानी घरों-दुकानों में घुस रहा है, कई इलाकों में जलभराव से जान-माल का नुकसान हो चुका है। विधायकों के त्राहिमाम के सवालों के बावजूद राज्य सरकार विधानसभा में इस गंभीर सवाल से बचती दिख रही है।

विधानसभा में पूछा गया सवाल
16वीं विधानसभा के चौथे सत्र में तारांकित प्रश्न संख्या 417 के तहत विधायक ने सरकार से पूछा कि – क्या सड़क निर्माण के समय पुरानी सतह हटाए बिना नई परत डालने से भवन सड़क से नीचे हो गए हैं और जलभराव की समस्या बढ़ रही है? क्या सरकार ने पुरानी सतह हटाने और पुनः उपयोग की नीति बनाई है? इन मानकों और नीतियों की अनुपालना हो रही है या नहीं?

सरकार का जवाबः “ऐसा कोई मामला नहीं”
सरकार ने लिखित जवाब में कहा कि “पुरानी सतह हटाए बिना भवनों का भू-तल सड़क से नीचे होने की स्थिति उत्पन्न नहीं हो रही है। ऐसा कोई प्रकरण विभाग के संज्ञान में नहीं है। नालियों से जल निकासी में भी कोई कठिनाई नहीं है। सभी निकायों को नीति और दिशा-निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार का यह बयान जनता और विशेषज्ञों के लिए चौंकाने वाला रहा, क्योंकि हाल की मीडिया रिपोर्ट्स और आरटीआई से मिली जानकारियों ने इस समस्या के कई प्रमाण उजागर किए हैं। यह सफेद झूठ सामने आने के बाद अब जनता की अदालत में ही यह फैसला होना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है। शहरों में ऐसी नीतियां तुरंत बननी चाहिए जिसमें हर गली का मकानों-दुकानों का प्लिंथ लेवल सरकारी स्तर पर तय किया जाए।

मीडिया रिपोर्टिंग से विधानसभा तक पहुँचा मुद्दा
24 न्यूज अपडेट की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट “इनका कोई लेवल है के नहीं, लगातार बना रहे सड़क के ऊपर सड़क, धंस रहा मकानों का कुर्सी लेवल” (23 सितम्बर 2024) के बाद यह विषय विधानसभा में पहुँचा। पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट जयवंत भैरविया ने बताया कि राजस्थान के किसी भी नगर निकाय या विकास प्राधिकरण के पास सड़क का अधिकतम स्तर तय करने के नियम नहीं हैं। जयपुर, जोधपुर और उदयपुर विकास प्राधिकरणों से मिले आरटीआई के जवाबों में स्पष्ट हुआ कि ठेकेदार मनमर्जी से सड़कों की ऊँचाई बढ़ा रहे हैं। जयपुर के विद्यानगर इलाके में इसी वजह से तीन लोगों की मौत हुई थी पिछले ही साल, जब मकान का बेसमेंट जलभराव से डूब गया। करोड़ों के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के बावजूद कॉलोनियों में पानी निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।

तीन प्रमुख विकास प्राधिकरणों से मिले जवाब चौंकाने
जयपुर विकास प्राधिकरण अभियंत्रिकी शाखा ने खुद को इस विषय से असंबंधित बताया, सूचना उपलब्ध नहीं। जोधपुर विकास प्राधिकरण सूचना नगर निगम या अन्य अथॉरिटी के पास होने की बात कहकर आवेदन आगे बढ़ा दिया। उदयपुर विकास प्राधिकरण ने कहा कि सड़क का स्तर मौके की स्थिति पर तय होता है, कोई लिखित मानक नहीं। किसी भी कॉलोनी में सड़क व मकान स्तर संबंधी सूचना पट्ट या बोर्ड नहीं पाए गए।

सरकार के अपने दस्तावेज़ में स्वीकारोक्ति
सरकार के शहरी विकास विभाग ने 24 जुलाई 2025 को जारी आदेश आदेश में स्वीकार किया कि “शहरी क्षेत्रों में सड़क की बिटुमिनस या सीमेंट परतें बार-बार बिछाने से सड़कों का स्तर मकानों के प्लिंथ लेवल से ऊपर चला गया है, जिससे जलभराव और निकासी की समस्या हो रही है। विशेषकर 20-30 साल पुरानी कॉलोनियों में यह गंभीर संकट है।
सरकार की ओर से मिल एंड फिल नीति लागू करने का आदेश दिया है, जिसके तहत पुरानी सतह हटाना और रीसाइकल्ड एस्फाल्ट का उपयोग अनिवार्य किया गया है। हालांकि, ज़मीनी हकीकत इसके विपरीत है।

असली सवालों से बचने का आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स, व आरटीआई खुलासों और सरकारी परिपत्र के बावजूद विधानसभा में सरकार का जवाब “कोई समस्या नहीं” देना यह संकेत देता है कि ठेकेदारों और प्रशासन की लापरवाही पर राजनीतिक संरक्षण है।
हर साल करोड़ों रुपये सड़क निर्माण पर खर्च होने के बावजूद नागरिकों को जलभराव, सड़क धंसने और मकानों की सुरक्षा को लेकर खतरा झेलना पड़ रहा है।

नागरिकों के लिए खतरे की घंटी
सड़कें ऊँची करने से मकानों का प्लिंथ लेवल नीचे हो गया है। बरसात में घरों-दुकानों में पानी घुसने की घटनाएं बढ़ गई हैं। पुराने इलाकों में नालियां बेअसर हो गई हैं। स्मार्ट सिटी और शहरी विकास योजनाओं में पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार को तत्काल सड़क स्तर निर्धारण मानक बनाने चाहिए और हर निर्माण से पहले पुरानी सतह हटाना अनिवार्य करना चाहिए। जो मानक बने हैं वे भी केवल कागजों में हैं। हाल ही में विधानसभा में ही विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कड़े शब्दों में सड़कों पर सड़कें बनाने के तौर तरीकों पर गंभीर सवाल उठाए थे।

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