24 न्यूज अपडेट, स्टेट डेस्क। खुद खाओ, दूसरों को भी खाने दो। सब मिलकर खाओ और जनता को जमकर लूटो क्योंकि रिश्वत लेना और देना अब सामान्य चलन हो गया है। ना सामाजिक बहिष्कार होता है, ना लोग हिकारत भरी नजरों से देखते हैं। थोड़े दिनों में बात आई गई हो जाती है। कई बार तो सरकारी स्तर पर ही केस चलाने की एजेसिंयों को रंगे हाथों पकडे जाने के बाद भी अनुमति नहीं मिलती। ताजा मामला यह है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) जयपुर ने जैसलमेर में बड़ी कार्रवाई करते हुए भणियाणा तहसीलदार सुमित्रा चौधरी और फतेहगढ़ तहसीलदार शिवप्रसाद शर्मा को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह रिश्वत भूमि रजिस्ट्री, नामांतरण और पैमाइश के बदले मांगी गई थी, जिसमें कुल 60 लाख रुपये की मांग की गई थी।
घटना का पूरा विवरण:
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| घटना का स्थान | जैसलमेर, राजस्थान |
| गिरफ्तार अधिकारी | तहसीलदार सुमित्रा चौधरी (भणियाणा) और तहसीलदार शिवप्रसाद शर्मा (फतेहगढ़) |
| रिश्वत की कुल मांग | 60 लाख रुपये |
| गिरफ्तारी के समय ली गई रिश्वत | 15 लाख रुपये |
| ACB कार्रवाई का नेतृत्व | ACB महानिदेशक डॉ. रविप्रकाश मेहरड़ा और एडिशनल एसपी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ |
| शिकायतकर्ता का आरोप | ज़मीन के नामांतरण और रजिस्ट्री में बाधा डालने के लिए रिश्वत मांगी जा रही थी |
| गिरफ्तारी की प्रक्रिया | ACB ने सुमित्रा चौधरी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा, फिर फतेहगढ़ तहसील कार्यालय में छापा मारकर शिवप्रसाद शर्मा को गिरफ्तार किया |
ACB की कार्रवाई: कैसे पकड़े गए तहसीलदार?
- शिकायत मिली:
शिकायतकर्ता ने ACB जयपुर को सूचना दी कि जैसलमेर के फतेहगढ़ और भणियाणा तहसील क्षेत्र में खरीदी गई जमीनों की रजिस्ट्री, नामांतरण और पैमाइश के बदले रिश्वत मांगी जा रही थी। - सत्यापन किया गया:
ACB की टीम ने मामले की गहराई से जांच की और शिकायत की पुष्टि होने के बाद ट्रैप योजना बनाई। - रिश्वत लेते हुए दबोचा:
सोमवार को एडिशनल एसपी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ की अगुवाई में ACB टीम ने जाल बिछाया और भणियाणा तहसीलदार सुमित्रा चौधरी को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। - दूसरी गिरफ्तारी:
सुमित्रा चौधरी से पूछताछ के बाद ACB की दूसरी टीम ने फतेहगढ़ तहसील कार्यालय पर छापा मारा और तहसीलदार शिवप्रसाद शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया।
भ्रष्टाचार का गहरा जाल: कैसे हो रही थी वसूली?
- आरोपियों ने भूमि रजिस्ट्री, नामांतरण और पैमाइश में अड़चनें डालकर लोगों को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया।
- रिश्वत न देने पर फाइलों को लंबित रखकर लोगों को परेशान किया जाता था।
- ज़मीन के लेन-देन से जुड़े किसानों और व्यापारियों को मजबूरी में बड़ी रकम देने के लिए बाध्य किया जाता था।
- शिकायतकर्ता ने जब रिश्वत न देने का फैसला किया, तब उसने ACB से संपर्क किया और पूरी घटना की जानकारी दी।
क्या होगा आगे?
- ACB अब इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है।
- भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मामलों में भी इन अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है।
- तहसील स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रशासन अब और सख्त कदम उठा सकता है।
- यह मामला सरकारी अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है।
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