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हाईकोर्ट में एकलिंगजी मंदिर सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ याचिका डिसपोज ऑफ हुई, कोर्ट ने पुलिस को कहा-चालान पेश करो

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उदयपुर। जोधपुर हाईकोर्ट ने आज एसीजेएम को लगी चोट को गंभीर नहीं मानते हुए याचिका को डिस्पोज ऑफ किया। इसके साथ ही पुलिस की ओर से कार्रवाई कर चालान पेश करने का आदेश दिए। आपको बता दें कि उदयपुर के एकलिंगजी मंदिर में एसीजेएम सिद्धार्थ शंकर और सुरक्षा कर्मियों के बीच तीखी नोकझोंक के बाद यह मामला हुआ था। एसीजेएम की पत्नी ने सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ छेड़छाड़ व पति को गंभीर चोट पहुंचाने का मामला दर्ज करवाया था। सुरक्षाकर्मियों छतर सिंह, मंगल सिंह, गोपाल व कालू ने सुखेर थाने में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की याचिका दी। हाईकोर्ट जस्टिस अरुण मोंगा की कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील आनंद पुरोहित व रणजीत जोशी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज के अनुसार एफआईआर में लगे आरोप झूठे हैं। पुलिस ने तथ्यात्मक रिपोर्ट में भी आरोप को माना है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मोटे हथियार से गंभीर चोट की घटना को नहीं मानते हुए याचिका को डिस्पोज ऑफ किया। पुलिस को चालान पेश करने के आदेश दिए। आपको यह भी अवगत करा दें कि गत 13 अगस्त को आयुशी शर्मा ने सुखेर थाने में एफआईआर में कहा कि एकलिंग जी मंदिर में वह पति टोंक निवाई में एसीजेएम सिद्धार्थ शंकर शर्मा के साथ दर्शन करने गई। सुरक्षा कर्मियों ने छेड़छाड़ की और पति के साथ अभद्र व्यवहार कर चोट पहुंचाई। एफआईआर के खिलाफ सुरक्षाकर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। इसमें कहा गया कि हाईकोर्ट का जज खुद को बताते हुए लाइन तोडक़र व्यवस्था बिगाड़ रहे थे, टोकने पर अभद्र व्यवहार किया। हमला करने की कोशिश की। घटना सीसीटीवी में भी कैद हो गई। सुरक्षाकर्मियों के वकीलों ने साफ कहा कि फुटेज में पता चल रहा है कि शर्मा ने अपने परिवार और दोस्तों के साथ मंदिर जाते समय इस घटना को उकसाया। उनकी यात्रा की सूचना अलग से मंदिर प्रशासन को होती तो उनके लिए अलग व्यवस्था होती। पीपी ने कहा- एफआईआर जांच पूरी हो गई है। 8 अक्टूबर को तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार की गई है। बताया गया है कि इस मामले में जानबूझकर चोट पहुंचाना, गलत तरीके से रोकने, धमकी देने के मामले में जिम्मेदार ठहराया गया है। हाईकोर्ट ने गंभीर चोट के अपराध को नहीं मानते हुए डिस्पोज ऑफ कर दिया।

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