24 न्यूज अपडेट. जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आज एससी-एसटी एक्ट में बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस वीरेंद्र कुमार की बेंच ने एससी-एसटी एक्ट से चार जाति सूचक शब्दों को हटाते हुए कहा कि भंगी, नीच, भिखारी, मंगनी जैसे शब्द जातिसूचक नहीं हैं। अतिक्रमण हटाने की एक कार्रवाई के दौरान सरकारी कर्मचारियों के साथ बहस का मामला कोर्ट में पहुंचा। कोर्ट ने इन शब्दों का इस्तेमाल करने वाले 4 आरोपियों के खिलाफ लगी एससी-एसटी एक्ट की धाराओं को हटा दिया। जैसलमेर के कोतवाली थाने में 31 जनवरी 2011 को एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। हरीश चंद्र अन्य अधिकारियों के साथ अचल सिंह द्वारा किए गए अतिक्रमण की जांच करने गए थे। अचल सिंह ने सरकारी अधिकारी हरीश चंद्र को अपशब्द जिनमें ( भंगी, नीच, भिखारी और मंगनी) जैसे शब्द कहे। हाथापाई भी हुई। सरकारी अधिकारी की ओर से अचल सिंह के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट का मामला कोतवाली थाने में दर्ज करवाया गया था। चार लोग आरोपी बने। चारों ने एससी-एसटी एक्ट के तहत लगे आरोप को चुनौती दी। कहा कि पीड़ित की जाति के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। यह तर्क दिया गया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि घटना सार्वजनिक रूप से हुई, गवाह महज अभियोजन पक्ष ही था। अपीलकर्ता के वकील लीलाधर खत्री ने कहाकि अपीलकर्ता को अधिकारी के जाति के बारे में जानकारी नहीं थी। कोई सबूत भी नहीं मिले कि ऐसे शब्द बोले गए और घटना जनता के बीच हुई हो। पुलिस की जांच में जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने का आरोप सच नहीं माना गया। हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि भंगी, नीच, मांगनी और भिखारी शब्द जातिसूचक नहीं हैं और यह एससी/एसटी एक्ट में शामिल नहीं होगा। जातिसूचक शब्दों के आरोप के मामले में अपीलकर्ता को बरी किया, लेकिन सरकारी ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को रोका गया है, इस लिए केस चलता रहेगा।
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