24 न्यूज अपडेट उदयपुर। इधर, सोना और चांदी की कीमतों का पारा सातवे आसमान पर है तो उधर पॉलिटिक्स में भी सोना-चांदी च्यवनप्राश खिलाने की नई शुरूआत हो चुकी है। क्या इसे नए स्वर्ण युग की शुरूआत कहें या फिर स्वर्णिंम इरादों से लोहा लेने के प्रयासों की शुरूआत। मंगलसूत्र में जड़ा सोना राजनीति के केंद्र में आ गया है तो समझ जाइये कि राजनीति के सारे के सारे कुंदन जनता की अदालत में तप कर सोना बनने को आतुर हो रहे हैं। बस संकट ये हो रहा है कि आग का दरिया है और डूब कर जाना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बांसवाड़ा में कल दिए गए भाषण के जबर्दस्त चर्चे हैं। इसमें उन्होंने कांग्रेस के मेनिफेस्टो या घोषणापत्र को अरबन नक्सल और वामपंथ प्रभावित बताया था। पीएम यहां तक कह गए कि कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में कहा है कि वे माताओं बहनों के सोने का हिसाब करेंगे फिर संपत्ति को बांट देंगे। आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे यहां तक जाएंगे। बहनों का गोल्ड, सपंत्ति, सबको समान रूप् से वितरित कर दी जाएगी। ये संपत्ति करके घुसपैठियों को बांटेंगे, संपत्ति को मुसलमानों को बांटेंगे। इस भाषण के साथ ही देश की राजनीति में मंगलसूत्र पॉलिटिक्स के नए युग की शुरूआत होती है। इससे पहले कभी महिलाओं का मंगलसूत्र चुनावी चर्चा के केंद्र में नहीं आया था। ऐसा पहली बार हुआ है जब मंगलसूत्र के बहाने राजनीति को नई धार दी जा रही है।
कांग्रेस का घोषणा प़त्र जारी होने के बाद मुस्लिम लीग, वामपंथ सहित अन्य शब्द विन्यासों से उस पर हमले किए गए थे मगर वे असरकारी साबित नहीं हुए। उसके बाद घोषणापत्र की घोषणाओं को हवा हवाई बताया गया मगर तब भी बात नहीं बनी। अब लंबे विचार मंथन और पार्टी के मारक थिंक टेंक की सलाह पर पीएम मोदी ने यह नया ब्रह्मास्त्र फेंका है जो असरकारी साबित हो सकता है। कल मोदीजी की टार्गेटेड ओडियंस आदिवासी जनता थी जिनको गहनों और खास कर चांदी के गहनों से विशेष प्रेम है। हर आदिवासी के झोपडी वाले घर में भी चांदी के आभूषण जरूर मिल जाएंगे। इससे उनके सेंटीमेंट और परम्पराएं जुडी हैं। मोदीजी ने उसी को ध्यान में रख कर कांग्रेस पर सीधा प्रहार किया है। यह माइंडगेम है और कहा भी जाता है कि पॉलिटिक्स में सब कुछ जायज है, खासकर तब जब आप चुनावी मैदान में युद्ध के अंतिम प्रहर में खडे़ हों। मंगलसूत्र पॉलिटिक्स को संविधान बचाओ पॉलिटिक्स की काट के रूप में भी देखा जा रहा है जिसके चलते भाजपा पिछले कुछ दिनों से खुद को असहज महसूस कर रही थी। उदयपुर में आए गृहमंत्री अमित शाह तक को कहना पड़ा था कि किसी भी सूरत में संविधान नहीं बदलेगा। यही नहीं उन्होंने बाद की सभाओं में तो यहां तक कह दिया कि जब तक भाजपा का कार्यकर्ता जिंदा है, आरक्षण खत्म नहीं होने देगा, संविधान नहीं बदलने देगा। मोदीजी खुद कह चुके हैं कि अगर बाबा साहेब अंबेडकर खुद भी आ जाएं तब भी संविधान नहीं बदलेगा, आरक्षण खत्म नहीं होगा
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