उदयपुर। सुबह खिलाई मिठाई और शाम को आई दो महीने का वेतन जारी करने की खबर। दिन भर रही उहापोह की स्थिति कि वेतन का आदेश तत्काल जारी क्यों नहीं किया गया। 10 से 17 तक अवकाश है। यदि लेट हो गए तो क्या होगा? क्या अब भी कोई पेच फंस रहा है आदि-आदि बातों चलीं मगर कंपट्रोर का दो महीने के वेतन का आदेश आने के बाद सबने राहत की सांस ली। यह सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के एसएफएबी कर्मचारियों की बड़ी जीत कही जा सकती है। वक्त का चक्का 17 दिन बाद घूमा। जिन कंपट्रोलर ने तनख्वाह नहीं देने का मन बनाया था और तीन महीने की तनख्वाह रोक दी थी, उन्हीं को नया आदेश जारी करना पड़ा। इस दौरान कर्मचारियों की होली रंगहीन हो गई और विश्वविद्यालय के इतिहास में 16 दिन की मौन हड़ताल का नया इतिहास बन गया। संभवत: यह उदयपुर शहर का भी अब तक का सबसे लंबा मौन आंदोलन है। ऐसा अंदेालन जिसमें न नारे लगे ना लोग आक्रोषित हुए, बस बैठे-बैठे ही अपनी ताकत का अहसास करवा दिया।
इससे पहले कल हड़ताल टूटने व उसमें सक्रिय सहयोग के लिए एसएफएबी आंदोलन में जुड़े कर्मचारी साथियों ने वीसी से लेकर सभी अधिकारियों, डीन-डायरेक्टर्स का मुंह मीठा कर दिल से शुभकामनाएं दीं व नौकरी पक्की करने का वादा मांगा। वीसी ने कहा कि वे भरसक प्रयास करेंगी। एसएफएबी के इस मामले में भी उन्होंने हर स्तर पर कर्मचारियों की पैरवी की। वे कभी भी सक्रिय, समर्पित कर्मचारियों का अहित नहीं होने देंगी। डीन और डायरेक्टर्स ने इन कर्मचारियों को विश्वविद्यालय की रीढ़ बताया।
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