24 न्यूज अपडेट उदयपुर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी) उदयपुर का 15 वां जिला सम्मेलन, 10 नवंबर 2024 को का. बशीलाल कलाल मंच, का. हीरालाल खराड़ी मंच, का. सीताराम येचुरी नगर ,का. दुर्गादास शिराली भवन, माछला मगरा, उदयपुर में दुसरे दिन जारी रहा। जिसमें संचालन मंडल की तरफ से जिला सचिव राजेश सिंघवी द्वारा पेश राजनैतिक – सांगठनिक रिपोर्ट पर प्रतिनिधियों द्वारा बहस दुसरे दिन भी जारी रही। सम्मेलन में सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक मुद्दों पर – (1) आदिवासी वन अधिकार कानून लागू कर पट्टे देने, (2) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत काम, बेरोजगारी भत्ता, कृषि को शामिल करने, शहरी क्षेत्र में लागू करने, (3) बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने, (4) सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करते हुए, एपीएल / बीपीएल का भेज मिटाकर सभी गरीबों को लाभ देने, (5) फसल बीमा योजना में खेत को ईकाई मानकर लागू करने, (6) किसानों को स्वामीनाथन आयोग के अनुसार सी2$50þ पर न्युनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने, (7) न्युनतम मजदूरी को महंगाई से जोड़कर, प्रति माह न्युनतम 26000 रुपये वेतन लागू करने, (8) विकास की योजनाओं में सुधार कर ,किसान – मजदुर के हितों की सुरक्षा प्रदान करने।(9) उदयपुर सहित आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी स्वायत्त परिषद का गठन करने (10) नई शिक्षा नीति 2020 रद्द करने (11) साम्प्रदायिकता पर रोक लगाने। (12) महिला आरक्षण विधेयक तुरंत लागू करने। (13) कच्ची बस्तियों का नियमन कर पट्टा दिया जाने
(14) साम्राज्यवाद परस्त आर्थिक एवं निजीकरण की नितियों पर रोक लगाने(15) संविदा एवं ठेके पर लगे श्रमिकों, कर्मचारियों को नियमित कर ठेका प्रथा पर रोक लगाने
(16) सभी आवासहीनों को आवास की सुविधा देने
(17) श्रम कानूनों में बदलाव कर लाये गये, 4 लेबर कोड रद्द करने (18) क्रेडिट कॉ- ऑपरेटिव सोसाइटीयो की लूट पर रोक लगाकर, निवेशकों का बकाया भुगतान करने आदि प्रस्ताव पेश किये गये। चर्चा के बाद सभी आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किये गये।
प्रतिनिधियों की जांच पड़ताल रिपोर्ट, पार्षद राजेंद्र वसीटा ने पेश की।
सचिव की रिपोर्ट पर प्रतिनिधियों द्वारा पुछे गये सवालों, सुझाव व संशोधन पर जिला सचिव राजेश सिंघवी ने जबाव देते हुए बताया कि वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य , जिला स्तर पर जाति,धर्म, राष्ट्र के नाम पर बढ़ती पहचान की राजनीति, दक्षिणपंथी – पुंजीपति के गठजोड़ का उभार, संवैधानिक संस्थाओं में गिरावट और मीडिया में सत्ता के पक्ष में झुकाव के रुझान से पैदा आर्थिक संकट और धार्मिक ध्रुवीकरण ने वामपंथी और जनतांत्रिक दलों के लिए राजनैतिक चुनौतियां पैदा कर दी है। यह हमारे लिए चुनौती के साथ बेहतरीन अवसर भी है। देश में सामाजिक, आर्थिक और मानवीय विकास में केरल की कम्युनिस्ट सरकार सबसे पहले नंबर पर है तो राजस्थान और उदयपुर में भी महत्वपूर्ण राजनैतिक ताकत है।
प्रतिनिधियों द्वारा सांगठनिक कमजोरियों को दुर करने हेतू दिये गये सुझाव पर अमल कर संगठन का विस्तार किया जाएगा। जिला सचिव के प्रस्ताव पर प्रतिनिधियों सुझावों सहित राजनैतिक – सांगठनिक रिपोर्ट सर्वसम्मति पास की।
कमेटी द्वारा तैयार प्रस्ताव को पर्यवेक्षक माकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य दुलीचंद मीणा ने सम्मेलन में पेश किया, जिसमें 17 सदस्यीय कमेटी में 14 सदस्य चुन 3 रिक्त स्थान रखे गए। सम्मेलन द्वारा सर्वसम्मति से 17सदस्यीय कार्यकारिणी का प्रस्ताव पास किया। इसके बाद नवनिर्वाचित 16 वी जिला कमेटी की प्रथम बैठक पर्यवेक्षक दुलीचंद मीणा की अध्यक्षता में हुई, जिसमें सचिवमंडल में – राजेश सिंघवी, दल्लाराम लऊर, जगदीश पारगी, प्रभुलाल भगोरा, राव गुमान सिंह, प्रेमचंद पारगी चुने गये। जिला सचिव राजेश सिंघवी को पुनः चुना गया। कार्यकारिणी सदस्य कमलाशंकर सीवणा, हीरालाल सालवी, हाकरचंद खराड़ी, लातुराम खैर, गणपति देवी सालवी, बावूलाल वढ़ेरा, किशनलाल पारगी, अर्जुन चुने गये। जिला कमेटी ने प्रथम बैठक में रानी माली, शंकरलाल पारगी, मोहम्मद निजाम को आमंत्रित, प्रताप सिंह देवड़ा को सम्मानित आमंत्रित चुना गया।
13,14,15 दिसंबर 2024 को हनुमानगढ़ में होने वाले 24 वें माकपा राज्य सम्मेलन के प्रतिनिधियों का चुनाव किया गया ,जिसमें दल्लाराम लऊर, हीरालाल सालवी, शंकरलाल पारगी, अर्जुन, जगदीश पारगी, प्रेम पारगी, किशन पारगी, रानी माली, प्रभुलाल भगोरा, वैकल्पिक प्रतिनिधि बावुलाल वढेरा को चुना गया।
जिला सम्मेलन को संबोधित करते पर्यवेक्षक माकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य दुलीचंद मीणा ने कहा कि माकपा मार्क्सवादी – लेनिनवादी दर्शन के आधार पर बेहतर दुनिया और भारत बनाना चाहती है। मार्क्सवाद ने सोवियत संघ, चीन, वियतनाम कोरिया, क्युबा, ब्राजील और हाल ही में श्रीलंका में कम्युनिस्ट सरकारों का बनना बताता है कि दुनिया में बड़े पैमाने पर लोगों ने समाजवादी विचार को समर्थन दिया है। भारत में प. बंगाल, त्रिपुरा और अब केरल की कम्युनिस्ट सरकारों ने जनता को राजनैतिक विकल्प दिया है। देश में सबसे ज्यादा न्युनतम मजदूरी, शिक्षा दर, स्वास्थ्य सेवा और साम्प्रदायिक सौहार्द, केरल में पाया जाता है। दुसरी तरफ गुजरात, पंजाब, हरियाणा से देशभर की गैर वामपंथी सरकारों में बेरोजगारी से रंग आकर युवा विदेश में पलायन कर रहे है। केरल की नम्बुदरीपाद के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार ने 1665-66 में देश में सबसे पहले जातिगत जनगणना करवा कर सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया। त्रिपुरा, प.बंगाल और केरल में भूमि सुधार से सामंतवाद और जमीदारी प्रथा खत्म कर दी गई। केंद्र में मौका मिलने पर युपीए प्रथम सरकार को वनाधिकार, मनरेगा, सुचना का अधिकार, आरटीआई, खाध सुरक्षा कानून लागू करने और सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण रोकने पर मजबूर कर दिया। इन सबके बावजूद हमारी सांगठनिक कमजोरियों हमें आगे बढ़ने से रोकती है। सांगठनिक कमजोरियों को दुरस्त कर जनमुद्दों पर संघर्ष में जनता की लामबंदी सी हमारा रास्ता है।
अंत में नारों के साथ अध्यक्षमंडल द्वारा सम्मेलन के समापन की घोषणा की गई।
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