उदयपुर, 13 मई। राजस्थान भाषा एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. देव कोठारी ने कहा है कि राज्य के समृद्ध राजस्थानी साहित्य जगत में ‘मां शबरी’ पुस्तक तत्कालीन जनजातीय परिवेश, कला एवं संस्कृति का जीवंत प्रतिरूप है और इस प्रकार का साहित्य सृजन राजस्थानी साहित्य जगत को और अधिक परिपूर्ण कर रहा है।
डाॅ. कोठारी में उदयपुर के विज्ञान समिति सभागार में राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी बीकानेर द्वारा आगीवाण सम्मान से विभूषित उदयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार पुरुषोत्तम ‘पल्लव’ की 21 वीं पुस्तक ‘मां शबरी’ के विमोचन समारोह में बतौर अतिथि संबोधित कर रहे थे।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सुखाड़िया विश्विद्यालय के राजस्थानी विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश सालवी ने कहा कि मां शबरी पर मेवाड़ी में पहली बार लेखन हुआ है l
बतौर अतिथि यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष और समाजसेवी रविन्द्र श्रीमाली ने साहित्यकार पल्लव के साहित्य सृजन कौशल की सराहना करते हुए कहा कि पल्लव की राजस्थानी और विशेषकर मेवाड़ी में अच्छी पकड़ा है।
समारोह में युगधारा के संस्थापक जयप्रकाश पंड्या ज्योतिपुंज ने काव्य पाठ किया व पुस्तक के सफल प्रकाशन की बधाई दी l
आरंभ में साहित्यकार पल्लव ने अपनी पुस्तक की विषयवस्तु के बारे में जानकारी दी।
व्यक्तित्वों का हुआ सम्मान:
समारोह में अतिथियों द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार पुरुषोत्तम ‘पल्लव’ की 21 वीं पुस्तक ‘मां शबरी’ के सफल प्रकाशन के लिए शाॅल ओढ़ाकर और पुष्पहार पहना कर अभिनंदन किया गया। इसी प्रकार कला व संस्कृति जगत से जुड़े संस्थान लोकधरोहर की ओर से साहित्य और कला से जुड़े 30 व्यक्तित्वों का सम्मान भी किया गया।

