Site icon 24 News Update

साइबर ठगी का नया तरीका : ई-मित्र संचालक के खाते में चचेरे भाई ने जमा करवाए 11 लाख, खाता फ्रीज

Advertisements

24 न्यूज अपडेट. डूंगरपुर। डूंगरपुर में साइबर ठगी का अनूठा मामला सामने आया है। रिश्तों में आजकल लोग साइबर छुरा घोंपने लगे हैं। विश्वास के दुरुपयोग और साइबर क्राइम की गंभीरता को दर्शाता है। बिलड़ी निवासी अनिल कलाल, जो एक ई-मित्र संचालक हैं। अनिल की मां और एक दोस्त भी अप्रत्यक्ष रूप से इस ठगी के शिकार हुए। अनिल के चचेरे भाई भावेश ने बैंक खाते का क्यूआर कोड मांगा, यह कहते हुए कि उसका और उसकी पत्नी का खाता बंद है। क्यूआर कोड के माध्यम से अनिल के खाते में संदिग्ध लेन-देन से ₹11 लाख जमा हुए। भावेश और उसके साथी कुलदीप ने यह राशि नगद निकालने का दबाव बनाया। अनिल ने अपने और अपनी मां व दोस्त के खातों से ₹8.15 लाख निकालकर कुलदीप को दिए। अनिल को बैंक ने जानकारी दी कि उसके खाते में साइबर ठगी की राशि ट्रांसफर हुई है, जिससे खाते फ्रीज कर दिए गए। ठगी में शामिल लोगों में भावेश, कुलदीप और प्रदीप कलाल (प्रतापनगर निवासी) का नाम सामने आया। जब अनिल ने ठगी का कारण पूछना शुरू किया, तो प्रदीप ने उसे धमकी दी। इसके बाद तीनों आरोपी फरार हो गए। शिकायत दर्जः अनिल ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने प्रदीप, भावेश, और कुलदीप के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। साइबर ठगी में पैसे के स्रोत और लेन-देन का विश्लेषण किया जा रहा है। चचेरे भाई ने भावनात्मक अपील कर क्यूआर कोड लिया और इसका दुरुपयोग किया इसकी जांच हो रही है। इसमें क्यूआर कोड और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल कर ठगी को अंजाम दिया गया। आरोपियों ने पीड़ित को शिकायत करने से रोकने के लिए धमकियां दीं।
पाठकों से अपील है कि बैंक खाते या क्यूआर कोड की जानकारी किसी के साथ साझा न करें। संदिग्ध लेन-देन की सूचना तुरंत बैंक और साइबर क्राइम विभाग को दें। ठगी की स्थिति में डरने के बजाय कानूनी मदद लें। यह मामला साइबर अपराध की जटिलता और इससे बचने के लिए जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

Exit mobile version