24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। आप सड़क पर अपनी स्पीड से जा रहे हैं। अचानक पता चलता है कि पीछे से कानफोडू हूटर बजाते हुए कोई बंदूक की गोली के समान तेज रफ्तार से आ रहा है। अचानक आपको साइडलाइन करता है। चीखते हुए कहता है कि साइड में हो जाओ, वीआईपी आ रहा है। आप आनन-फानन में सड़क के एक ओर धकेल दिए जाते हैं और उसके बाद भीड़ में लंबी प्रतीक्षा के बाद पता चलता है कि कोई वीआईपी पलक झपकते ही आपका टाइम खोटी करते हुए खुद टाइम बचाते हुए निकल गया। कई बार चेहरा पहचान में आ जाता है व पता चलता है कि हां, शायद ये वहीं है जो इलेक्शन में वोट मांगने हाथ जोड़ने आया था और कह रहा था कि समय निकाल कर मुझे वोट जरूर दें। तब पता चलता है कि उसने उस समय आपका समय क्यों मांगा था क्योंकि अब उसने आपका वोट लेकर आपका समय खराब करने का पांच साल का परमानेंट ठेगा ले लिया है। कई बार बच्चे पूछते हैं कि दादा, हम यहां क्यों रूके हुए हैं। ये लोग कौन हैं? कहां जा रहे हैं???? तो दादा कहते हैं कि बेटा तूं भी बड़ा होकर हमारे जैसा नहीं, इनके जैसा बनना। याने बत्तीवालों की सड़क पर पौ बारह हो रही है। लाल नीली बत्ती लगे हुए वाहन सड़को पर एक अलग ही वी आई पी कल्चर को बढ़ावा देते नजर आते हैं। लगता है कि ये एक ऐसा कोई समाज है जो आमजनता से छुआ छूत रखता है। वाहनों का दुरुपयोग अक्सर अधिकारियों और नेताओं द्वारा रौब झाड़ने , आमजन पर धौंस मारने के लिये ही किया जाता है। सड़कों पर जब ये वाहन निकलते है तो हूटर की तेज आवाज से सड़क पर अपनी लाइन में चलते अन्य वाहनो धारियों को साइड में हटने को मजबूर कर देते है। कई बार तो राहगीर और दुपहिया चालक इनसे टकरा घायल तक हो चुके है।ं कोई भी सरकारी अधिकारी और नेता व उनके परिवारजन लाल नीली बत्ती और हूटर का उपयोग अपनी पैतृक संपत्ति की तरह करते है, सड़क पर वाहन ऐसे दौड़ाते है जैसे सड़क उनके बाप की हो।
है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही पत्रकार जयवंत भेरविया की आर टी आई पर एक्शन लेते हुए वी आई पी कल्चर पर धावा बोला है, वही लाल-नीली बत्ती के साथ परिवहन विभाग का खास स्टीकर भी अनिवार्य कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में उन्हीं वाहनों पर लाल नीली बत्ती लगेगी जिन्हें परिवहन विभाग विशेष स्टीकर जारी करेगा, जिन वाहनों पर स्टीकर नहीं होगा, उन पर लाल नीली बत्ती नहीं लगेगी वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिये परिवहन विभाग सक्रिय हो गया है. मल्टी कलर लाइट (लाल-नीली बत्ती) और हूटर के लिए एक समिति गठित की गई है, समिति ने किन-किन विभागों के अधिकारियों को मल्टी कलर लाइट और हूटर की अनुमति होगी, उसकी सूची भी बनाई है। समिति की तरफ से यह प्रस्ताव योगी आदित्यनाथ को भेजा है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब वही वाहन मल्टी कलर लाइट के हकदार होंगे, जिन्हें परिवहन विभाग स्टीकर जारी करेगा। जिन वाहनों पर स्टीकर नहीं होगा, उन पर लाल नीली बत्ती वाली लाइट नहीं लग लगेगी, यदि किसी ने अवैध लाल नीली बत्ती लगाई तो कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश में लगभग 25000 अति आवश्यक श्रेणी के सरकारी वाहनों पर लाल नीली बत्ती और स्टीकर लगाए जाएंगे। किसी तरह की प्राकृतिक या मानवीय आपदा के लिए फायर कंट्रोल को मल्टी कलर लाइट लगाने की अनुमति होगी। मानवीय आपदा जैसे उपद्रव आदि हो जाता है तो इसमें लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने की जिम्मेदारी निभाने के लिये मल्टी कलर लाइट लगाने की अनुमति पुलिस को होगी। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट प्रवर्तन का हिस्सा होता है और किसी भी तरह की प्राकृतिक या मानवीय आपदा के समय उसका काम बढ़ जाता है, इसलिए मजिस्ट्रेट के रूप में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट से लेकर जिला मजिस्ट्रेट तक को लाल नीली बत्ती व हूटर लगाने की अनुमति होगी। परिवहन विभाग की तरफ से संबंधित विभागों को उनके वाहनों के लिए स्टीकर दिए जाएंगे। वन विभाग के अधिकारी अब बत्ती वन प्रक्षेत्र में तैनाती के दौरान ही लगा सकेंगे, बाहर के एरिया में वे मल्टी कलर लाइट का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे, उन्हें यह अधिकार नहीं होगा। वाहनो में जो स्टिकर लगाए जाएंगे वे हाई सिक्योरिटी फीचर वाले होंगे जिनमे वाहन की पूरी डिटेल दर्ज होगी। जिन वाहनों को स्टीकर जारी किए जाएंगे उन्हें परिवहन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा ताकि वाहन का नंबर डालते ही पूरी डिटेल की जानकारी मिल सके , पता चल सके कि जो लाल नीली बत्ती लगाई गई है क्या संबंधित वाहन और उसके लिए अधिकृत है ? हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट पर कोई भी पदनाम लिखने की अनुमति बिल्कुल नहीं होगी। नंबर प्लेट बिल्कुल साफ सुथरी रखनी होगी। विंडस्क्रीन पर विभाग या अफसर के पद का नाम लिखा जा सकेगा इसके अलावा कंपनी की तरफ से वाहनों के शीशे पर जो फिल्म लगकर आएगी, सिर्फ वही मान्य होगी इसके अलावा किसी भी सरकारी वाहन पर अलग से फिल्म नहीं लगाई जा सकेगी।
अलग से टाइम स्लॉट होना चाहिए
वीआईपी का मूवमेंट रश आवर्स में बाधित कर देना चाहिए ताकि जनता को परेशानी नहीं हो। सुबह इधर ऑफिस जाने का समय होता है, उधर वीआईपी का मूवमेंट हो जाता है। ऐसे में विधानसभा में कानून बना कर हर बत्ती वाले वीआईपी का मूवमेंट सिर्फ और सिर्फ उन घंटों में करना बाधित होना चाहिए जिनमें सड़को ंपर भीड़ कम रहती है। यदि जरूरी है तो सूचना पहले प्रसारित की जानी चाहिए जैसे कि सूचना हमें बत्ती गुल होने या पेयजल आपूत्रि बाधित होने की दी जाती है ताकि जनता उस समय उस मार्ग का रूख ही ना करें।
संसद में हुई चर्चा मगर हुआ कुछ नहीं
इस वी आई पी कल्चर को खत्म करने के लिये सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए गए है और आर टी आईं में प्राप्त सूचना अनुसार सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अधिसूचना जी.एस.आर. के माध्यम से वाहन से लाल बत्ती हटाने के लिए सीएमवीआर के नियम 108 में संशोधन किया है। 423(ई) एवं एस.ओ. 1374(ई) दिनांक 1 मई 2017 (प्रतिलिपि मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है)। इसके अलावा, सीएमवीआर, 1989 का नियम 50 मोटर वाहनों पर पंजीकरण चिह्नों के प्रदर्शन के रूप और तरीके का प्रावधान करता है और सीएमवीआर, 1989 का नियम 51 प्रदान करता है। पंजीकरण चिह्न के अक्षरों और अंकों के आकार के लिए, जुर्माने के संदर्भ में, यह कहा गया है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अध्याय ग्प्प्प् में अपराध, दंड और केंद्रीय मोटर वाहनों के कार्यान्वयन से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।संसद में भी वीआईपी मूवमेंट को लेकर लगने वाले ट्रैफिक जाम व यातयात समस्या का मुद्दा उठ चुका है, लेकिन समस्या जस की तस वही है।


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By desk 24newsupdate

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