कविता पारख

24 न्यूज़ अपडेट निंबाहेड़ा . भराड़िया परिवार मिठाई वाले के तत्वाधान में आयोजित निंबाहेड़ा नगर के आर के कॉलोनी में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ के तीसरे दिन रामानुज कोट उज्जैन मध्यप्रदेश के कथावाचक , श्री श्री 1008 श्री युवराज स्वामी जी श्री माधव प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने भक्त प्रह्लाद चरित्र, भरत चरित्र व हिरणकश्यप बध, नरसिंह अवतार व समुद्र मंथन का वर्णन किया। कथावाचक ने व्याख्यान करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का केंद्र है आनंद। आनंद की तल्लीनता में पाप का स्पर्श भी नहीं हो पाता। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हिरणकश्यप नामक दैत्य ने घोर तप किया, तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए व कहा कि मांगों जो मांगना है। यह सुनकर हिरनयाक्ष ने अपनी आंखें खोली और ब्रह्माजी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा-प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं न दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न ही मैं पानी में डूबकर मरूं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दिया। हिरणकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरणकश्यप भागवत विष्णु को शत्रु मानते थे। उन्होंने अपने पुत्र को मारने के लिए तलवार उठाया था कि खंभा फट गया उस खंभे में से विष्णु भगवान नरसिंह का रूप धारण करके जिसका मुख शेर का व धड़ मनुष्य का था। प्रगट हुए भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरनयाक्ष को पकड़ कर उदर चीर कर बध किया। इस धार्मिक प्रसंग को आत्मसात करने के लिए भक्त कथापांडाल में भक्ति के सागर में गोते लगाते रहे। मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एकमात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया। उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है।उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए।भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। भगवान की भक्ति में ही शक्ति है। उन्होंने कहा कि सभी अपने बच्चों को संस्कार अवश्य दें, जिससे वह बुढ़ापे में अपने माता-पिता की सेवा कर सकें। गोसेवा, साधु संतों की सेवा कर सकें।
कथा में सुनाए भजनों का श्रोताओं ने खूब आनंद लिया। पधारे हुए अतिथियों का भराड़िया द्वारा स्वागत सत्कार किया गया। दुर्गेश भराड़िया से प्राप्त जानकारी के अनुसार कल कथा में कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा कृष्ण लीलाओं का विस्तृत वर्णन किया जाएगा जिसमें आप सभी से निवेदन है कि अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म लाभ प्राप्त करे l
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