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व्यसन से मन तथा बुद्धि अकार्यक्षम होती है :निराग रत्न जी म. सा.

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24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर : जैन संस्कार वाटिका शिविर आत्मोत्थान मालदास स्ट्रीट के नूतन उपाश्रय में दूसरे दिन परम पूज्य प्रन्यास प्रवर श्री निराग रत्न विजय जी महाराज साहब ने व्यसन और व व्यसन की हानियों के बारे में विस्तार से चर्चा की उन्होंने जैन धर्म के मुख्य सिद्धांत के साथ-साथ किशोरावस्था में नैतिक जीवन को अपनाने पर बल दिया उन्होंने कहा व्यसन से हमारा मन, बुद्धि और तन पर गलत असर पड़ा है साथ ही बालकों को शराब ,मांस ,जुआ शिकार ,चोरी और बुरे कार्य न करने का संकल्प दिलाया इस अवसर पर सभी बालक बालिकाओं ने प्रतिज्ञा ली कि वो जीवन में कभी दुर्व्यसन नहीं करेंगे और एक अच्छे और सच्चे इंसान बनकर समाज और देश की सेवा करेंगे शिविर संयोजिका डॉ मनीषा लोढा ने बताया की द्वितीय दिवस करीब 200 बालक बालिकाएं भाग ले रहे हैं तथा शिविर के द्वितीय चरण में साध्वी कीर्ति रेखा श्रीजी महारासा एवं उनकी शिष्याओ ने बच्चों को संस्कार के महत्व के बारे में समझाया उन्होंने बताया कि जैन पाठशाला में नियमित आने से आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है इस अवसर पर जैन पाठशाला के शिक्षक शिक्षिका भी उपस्थित थे

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