24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। जिस यूडीए के अफसरों और कर्मचारियों का यह जिम्मा है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र. में जहां कहीं भी अतिक्रमण हो रहा है उसको रोके और तुरंत ध्वस्त कर दे वो चैन की नींद सो रहे हैं। जमीन माफिया सरकारी जमीन पर बाउंड्री वॉल बना कर कमरे बना कर प्लानिंग काटने की फिराक में हैं तब यूडीए अफसरों की नींद उड़ रही है वो भी पॉलिटिक प्रेशर आने के बाद, तो यह स्थित बेहद चिंताजनक है। उस पर भी केवल अतिक्रमण ध्वस्त करने की कार्रवाई?? करतूत और जुर्रत करने वाले जमीन माफिया का नाम तक सार्वजनिक नहीं होना सचमुच दाल में कुछ काला होने का अंदेशा पैदा करने वाला है। जमीन भी छोटी-मोटी नहीं, पूरे 50 करोड़ की। आज भुवाणा क्षेत्र में कोटा बावड़ी के उदयपुर विकास प्राधिकरण की 60 से 70 हजार स्क्वायर फीट जमीन पर अवैध कब्जा हटाया गया। उस पर पांच कमरों का निर्माण हो गया था। शिकायत मिलने पर उदयपुर विकास प्राधिकरण की टीम ने इस 60 से 70 हजार स्क्वायर फीट जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाया। राजस्व ग्राम भुवाना के खसरा संख्या 2570 71 और 72 में यह अतिक्रमण कर लिया गया था क्योंकि उदयपुर विकास प्राधिकरण के कर्मचारी और अफसर या तो सोए हुए थे या जान बूझकर अतिक्रमण को नजरअंदाज कर रहे थे। आज आयुक्त राहुल जैन के निर्देश पर तहसीलदार डा अभिनव शर्मा के नेतृत्व में टीम ने इस जमीन पर पीला पंजा चला कर अतिक्रमण का सफाया कर दिया। भू अभिलेख निरीक्षक राजेंद्र सेन बाबूलाल तेली पटवारी भगवती लाल दीपक ललित सुरपाल सिंह सोलंकी एवं होमगार्ड का जाब्ता मौजूद रहा। बताया जा रहा है कि जमीन माफिया किसी सरकारी जमीन पर कब्जे की जुर्रत तभी कर सकता है जब सरकारी शह या मिलीभगत हो या फिर कोई राजनीतिक वरद हस्त उस पर हो। शायद इसी कारण से कार्रवाई के बाद भी उस जमीन माफिया का नाम सामने नहीं आया है जिसने केलकुलेटेड रिस्क लेकर ये अतिक्रमण करवाए थे। क्योंकि उसे पता था कि ज्यादा से ज्यादा निर्माण ध्वस्त हो जाएगा, कोई सख्त कार्रवाई या जेल जाने जैसी नौबत नहीं आने वाली है। सिस्टम में बैठे भाई-बंधु बचा ही लेंगे।
यह ट्रेंड है खतरनाक
अब तक जमीन माफिया प्राइवेट जमीन पर अतिक्रमण करने की जुर्रत करता था मगर अब उसकी आंखें सरकारी जमीन पर भी लगना बहुत ही खतरनाक ट्रेंड है। यह तभी संभव है जब जमीन माफिया के पास फुल प्रूफ एग्जिट प्लान की गुंजाइश होती है। जब सरकारी अमला अपने महकमे की जमीन की हिफाजत नहीं कर सकता व उस पर इतने सारे कमरे व बाउंड्रीवॉल बनने तक उसे पता ही नहीं चलता है कि ऐसा कब व किसने बनाया है तब वह आमजन की जमीन पर कब्जे होने पर क्या और कैसे मदद करता होगा, इसका अंदाज लगाना मुश्किल नहीं है। इस मामले में उन सरकारी अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए जिनके कार्यकाल में ये कमरे बने। साथ ही यदि पुलिस में इच्छाशक्ति हो तो कुछ घंटों में ही उस जमीन माफिया का नाम सार्वजनिक कर सकती है जिसने कमरे बनवाए है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.