24 न्यूज अपडेट स्टेट डेसक। वर्ष 2024 की आखिरी सोमवती अमावस्या सोमवार को हैं। अगले वर्ष यह संयोग एक बार भी अमावस का यह संयोग नहीं बन रहा है। 2026 में 19 मार्च तक सोमवती अमावस्या का योग घटित नहीं होगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार देव पितृकार्य सोमवती अमावस्या को विशेष फलकारी माना गया है। जिन जातकों की कुंडली में अमावस्या दोष होता है, उन्हें इस दिन दर्श शांति वैदिक विधि-विधान से कराना चाहिए। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी महत्व है। पितरों के तर्पण, श्राद्ध के लिए जरूरतमंदों को वस्त्र दान, अन्न दान आदि को भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य का अनंत गुना फल मिलता है। द्वापर युग में पांडवों ने अपने पूर्वजों के पिंडदान के लिए पुष्कर में कई वर्षों तक रहकर सोमवती अमावस्या का इंतजार किया था, लेकिन उन्हें भी सोमवार को पढ़ने वाली अमावस्या का यह दुर्लभ संयोग प्राप्त नहीं हुआ था. उन्हें पुष्कर छोड़कर हिमालय जाना पड़ा, लेकिन वहां भी सोमवती अमावस्या का संयोग नहीं मिला था.
पुष्कर में ज्योतिष पंडित कैलाशनाथ दाधीच बताते हैं कि 30 दिसंबर 2024 को वर्ष की आखिरी सोमवती अमावस्या है. यह प्रश्न पक्ष अमावस्या सोमवार सूर्य उदय से रात्रि 3 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. इस दिन देव पितृ कार्य अमावस्या भी है. पंडित शर्मा बताते हैं कि मलमास का सूर्य उत्तरायण और सोमवती अमावस्या का जन्म मानस को त्रिगुणात्मक धर्म कर्म का लाभ मिलेगा. वेद और अन्य शास्त्र ग्रंथ में उल्लेख है कि सोमवती अमावस्या को पितरों के नाम से दान पुण्य, हवन पूजन, तर्पण, मार्जन, नारायण बलि, त्रिपिंडी श्राद्ध, एक पिंडी श्राद्ध करने से पितरों की मोक्ष गति और बैकुंठ गामी होते हैं. साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. महाभारत में वर्णित है कि पांचों पांडवों ने पितरों की मोक्ष गति के लिए सोमवती अमावस्या का पुष्कर में वर्षों तक इंतजार किया था. उसके बाद पांडव हिमालय की ओर चले गए. जहां भी बर्फ की कंदराओं में रहकर उन्होंने सोमवती अमावस्या का इंतजार किया था, लेकिन यहां भी सोमवती अमावस्या का पर्व नहीं मिला. पंडित शर्मा बताते हैं कि सूर्य उत्तरायण में होने से पितरों को धन पुण्य का दुगना फल मिलता है और मलमास में दान पुण्य करने से प्रेग्नेंट आत्मक फल प्राप्त होता है. समुद्र, नदियों और तीर्थ स्थान खासकर पुष्कर के ब्रह्म सरोवर में स्नान कर तर्पण, मार्जन, नारायण बलि से सूर्य उत्तरायण की साक्षी में पितरों को मोक्ष बैकुंठ गामी होकर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यही वजह है कि सोमवती अमावस्या पर पुष्कर के ब्रह्म सरोवर में स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डूबकी लगाएंगे.
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