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लूट का साइबर हाईवे : 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा पर समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया, करोड़ों का गबन

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के टोल प्लाजा पर जबर्दस्त साइबर संगठित घोटाला सामने आया है जिससे सरकार तक के होंश उड़ गए हैं। देश के 200 टोल प्लाजा पर समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर करोड़ों का गबन किया गया है। राजस्थान के चार टोल प्लाजा भी इस घोटाले की जद में आए हैं। एनएचएआई के कंप्यूटर सिस्टम में समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर लिया गया है। बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूली राशि को सरकारी खाते में जमा करने के बजाय आरोपियों ने अपनी जेब में डाल दिया। फर्जी प्रिंट पर्ची करके एनएचचएआई के सॉफ्टवेयर के समान दिखाई जाती थी। राजस्थान के टोल प्लाजा प्रभावित हुए हैं इसमें फुलेरा टोल प्लाजा, शाहपुरा टोल प्लाजा, कादीसहना टोल प्लाजा, शाउली टोल प्लाजा। केवल मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा से दो वर्षों में 3.28 करोड़ की हेराफेरी सामने आई है। पूरे देश में इस तरह के गबन से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद यूपी एसटीएफ ने छापा मारकर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों ने 12 राज्यों के 42 टोल प्लाजा पर समानांतर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने की बात कबूली। कंप्यूटर सिस्टम में फर्जी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर, उसका एक्सेस अपने लैपटॉप से लिया गया। बिना फास्टैग वाले वाहनों से अतिरिक्त राशि वसूली गई। टोल प्लाजा के आईटी स्टाफ और प्रबंधन के सहयोग से यह घोटाला संभव हुआ। सॉफ्टवेयर के जरिए वसूली गई राशि का केवल 5 परसेंट ही ही एनएचएआई के खाते में जमा किया गया। अवैध वसूली के वाहनों को “टोल-फ्री“ श्रेणी में दिखाया गया। गिरफ्तार आरोपी में आलोक कुमार सिंह (जौनपुर, यूपी), राजीव कुमार मिश्र (प्रयागराज, यूपी), मनीष मिश्रा (मध्य प्रदेश) शामिल हैं। इनसे 2 लैपटॉप, 1 प्रिंटर, 5 मोबाइल, 1 कार, और 19,000 नकद बरामद किए हैं। इनका नेटवर्क उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, असम, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, और अन्य राज्यों में फैला है। यह घोटाला न केवल तकनीकी प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि टोल प्लाजा प्रबंधन में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी की जरूरत को भी रेखांकित करता है। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ-साथ एनएचएआई को अपने सिस्टम को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाना चाहिए।

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