24 न्यूज अपडेट, लॉ ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बहुत बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि राजस्थान में होने वाले लेनदेन के लिए राज्य के बाहर से खरीदा गया स्टांप पेपर मान्य नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बीमा पॉलिसियों को लेकर कहा कि राजस्थान में होने वाले लेन-देन के लिए राज्य के बाहर से खरीदा गया स्टांप पेपर मान्य नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने भारतीय जीवन बीमा निगम की अपीलों को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि जिस समय बीमा स्टांप नहीं थे, उस समय की स्टांप ड्यूटी के बारे में मांग नहीं की जाए। न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा व न्यायाधीश अरविन्द कुमार की खंडपीठ ने 20 साल से चल रहे इस विवाद पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य के 1952 के स्टांप कानून को वैध ठहराया। कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी से बना राज्य का कानून केन्द्र के कानून से ऊपर माना जाएगा। स्टांप ड्यूटी भी कर के रूप में है और राज्य सरकार को बीमा पॉलिसियों पर स्टांप ड्यूटी वसूल करने का हकदार है।एलआईसी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 के अंतर्गत देश में स्टांप ड्यूटी ली जा रही है। राजस्थान सरकार ने इसी के अंतर्गत राज्य में 1952 का स्टांप अधिनियम बनाया है। राज्य को बीमा पॉलिसियों पर स्टांप ड्यूटी लेने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि राज्य सरकार को स्टांप ड्यूटी वसूल करने का अधिकार है। भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से राजस्थान सरकार ने 1952 का स्टांप अधिनियम बनाया। संविधान के अनुसार ऐसे में विवाद की स्थिति में राज्य के अधिनियम के प्रावधान ही प्रभावी माने जाएंगे।
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