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रक्षाबंधन पर आज नहीं होगा भद्रा का असर, पूरे दिन बांध सकते हैं राखी

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। इस बार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा रक्षाबंधन पर भद्रा काल को लेकर कई जगह असमंजस की स्थिति है व मुहूर्त दोपहर बाद का बताया जा रहा है मगर भद्रा काल का पृथ्वी लोक पर कोई प्रभाव नहीं रहेगा. 19 अगस्त को दोपहर 01.33 बजे तक भद्रा रहेगी. चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा का निवास पाताल लोक में रहेगा। रक्षाबंधन पर भद्रा काल चल तो रहा है मगर पृथ्वी लोक पर कोई प्रभाव नहीं है। इस बार पूर्णिमा 19 अगस्त को रात 11.55 तक रहेगी. इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार भी इसी दिन मान्य है। 19 अगस्त दोपहर 1.33 बजे तक भद्रा काल रहेगा लेकिन चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा का निवास पाताल लोक में है। धरती के किसी शुभ कार्य पर भद्रा का प्रभाव नहीं पड़ेगा। ब्राह्मण सुबह श्रावणी उपाकर्म कर सकते हैं। इस पर भद्रा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। शुक्लयजुर्वेदी ब्राह्मण तीन प्रहर की पूर्णिमा, जबकि सामवेद और अथर्व वेद को मानने वाले ब्राह्मण उदया तिथि के अनुसार श्रावणी करते हैं। इसलिए वे इस विधान का संपादन 19 अगस्त को करेंगे।
कौन है भद्रा?
भद्रा, भगवान सूर्य की पुत्री का नाम है। जो कि शनि देव की बहन भी मानी जाती हैं। जिस तरह शनिदेव न्याय को लेकर कठोर माने जाते हैं, उसी प्रकार भद्रा का भी स्वभाव है। मान्यता है कि पौराणिक काल में भद्रा के स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ब्रह्मा जी ने उन्हें काल गणना के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया। यही वजह है कि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य निषेध माना जाता है। जिस कारण रक्षाबंधन और होली में इस पर प्रमुखता से विचार किया जाता है।
भद्रा को मिला है ब्रह्मा जी का श्राप
पौराणि कथा के मुताबिक, एक बार ब्रह्मा जी ने भद्रा को श्राप दिया था कि जो कोई भी भद्रा काल में किसी तरह का शुभ कार्य करेगा, उसे उसमें सफलता नहीं मिलेगी। यही वजह है कि भद्राकाल में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। दरअसल इस दौरान शुभ कार्य करने से उसमें सफलता हासिल नहीं होती। यही वजह है कि भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जाती।

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