24 न्यूज अपडेट. नेशनल डेस्क। मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के चलते केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया। यह निर्णय मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के 9 फरवरी को इस्तीफा देने के चार दिन बाद आया है। राज्य में पिछले 21 महीनों (मई 2023 से) से हिंसा जारी थी, जिसमें अब तक 300 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद से ही मुख्यमंत्री बीरेन सिंह विपक्ष और नागरिक संगठनों के निशाने पर थे। 9 फरवरी को उन्होंने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया। विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य पार्टियां लगातार बीजेपी सरकार पर सवाल उठा रही थीं और बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही थीं। सुप्रीम कोर्ट ने भी 3 फरवरी को एक लीक ऑडियो क्लिप का संज्ञान लिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मुख्यमंत्री ने मैतेई समुदाय को हिंसा भड़काने की अनुमति दी थी। मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा जारी है। कुकी समुदाय की संस्था लगातार अलग प्रशासन की मांग कर रही है। आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्जा वूलजोंग ने कहा कि बीरेन सिंह का इस्तीफा अविश्वास प्रस्ताव में हार के डर से हुआ है। उनका कहना है कि अब भी अलग प्रशासन की मांग कायम है क्योंकि “बहुत खून बह चुका है और अब पीछे नहीं हट सकते।“राहुल गांधी ने बीरेन सिंह के इस्तीफे पर कहा कि “पीएम मोदी ने हिंसा और जान-माल की हानि के बावजूद मुख्यमंत्री को बचाए रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के कारण इस्तीफा देना पड़ा।“ उन्होंने पीएम मोदी से तुरंत मणिपुर जाने और हालात को सामान्य करने के लिए रणनीति पेश करने की मांग की।
लीक ऑडियो क्लिप और सुप्रीम कोर्ट की जांच
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में “कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट ने आरोप लगाया कि बीरेन सिंह का एक ऑडियो क्लिप सामने आया है, जिसमें वह मैतेई समुदाय को हिंसा भड़काने की अनुमति देने की बात कह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और इसकी गहन जांच शुरू की। इस लीक ऑडियो क्लिप ने बीरेन सिंह के इस्तीफे को लेकर दबाव को और बढ़ा दिया। राज्य में जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय लिया। इसके तहत, अब मणिपुर सरकार का पूरा प्रशासनिक नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन होगा। राज्य में कानून-व्यवस्था बहाल करने और शांति प्रक्रिया को तेज करने के लिए यह कदम उठाया गया है। जल्द ही नई सरकार के गठन के लिए चुनाव कराए जा सकते हैं। कुकी-मैतेई विवाद का हल निकालना जरूरी दृ अगर अलग प्रशासन की मांग पर कोई समाधान नहीं निकला, तो हिंसा दोबारा भड़क सकती है। मुख्य सवाल यह है कि क्या राष्ट्रपति शासन से मणिपुर में शांति बहाल होगी? क्या कुकी और मैतेई समुदाय के बीच कोई स्थायी समाधान निकलेगा? क्या केंद्र सरकार चुनाव की घोषणा कर राज्य में स्थायी सरकार बना पाएगी?
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