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भूपाल नोबल्स संस्थान में नवनिर्मित वीर केसरी बालाजी मंदिर का हुआ भव्य लोकार्पण, रामायण पाठ, शिखर ध्वजादण्डरोहण एवं हवन का हुआ आयोजन

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर 28 नवम्बर / भूपाल नोबल्स संस्थान के परिसर में बने प्राचीन श्री वीर केसरी हनुमान मंदिर के नवनिर्मित मंदिर का जीर्णोद्धार कर लोकार्पण गुरूवार को विधि विधान एवं पंडितों के मंत्रोच्चारण के साथ सम्पन्न हुआ। प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी ने बताया कि मुख्य मंदिर पर आठ खम्भों पर सफेद मार्बल का विशाल मंदिर बनाया गया हैं। मंदिर परिसर में हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कार्यवाहक अध्यक्ष प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, मंत्री महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह, उपाध्यक्ष प्रो दरियाव सिंह आमदला, विश्वविद्यालय कुलसचिव डॉ निरंजन नारायण सिंह राठौड़, संयुक्त मंत्री राजेन्द्र सिंह ताणा ने मंत्रोच्चारण के साथ आहूतियॉ दी। हवन पश्चात मंत्रोच्चारण के साथ मंदिर पर ध्वजारोहरण किया गया। इससे पूर्व दो दिवसीय अखण्ड रामायण पाठ का महाआरती के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर सेगरा धूनी की महंत गुरूमाई डॉ भुवनेश्वरी जी का भी पावन सानिध्य रहा और विद्या प्रचारिणी सभा की कार्यकारिणी व सभामंडल के सदस्यगण गणपत सिंह नारेला, हनुमंत सिंह बोहेड़ा, सत्यनारायण सिंह मदारा, भेरू सिंह ज्ञानगढ़, मान सिंह महासिंहजी का खेड़ा, गणपत सिंह महासिंहजी का खेड़ा, करण सिंह उमरी, दिलीप सिंह दुदोड़, महेंद्र सिंह पाखंड, गजेंद्र सिंह घटियावली, कुलदीप सिंह ताल, ओल्ड बॉयज एसोसिएशन सचिव भानुप्रताप सिंह झिलवाडा, राजदीप सिंह आदि गणमान्य और सभी प्रवृतियों के डीन, डायरेक्टर, स्टाफ एवं बड़ी संख्यॉ में विद्यार्थीगण भी उपस्थित थे। सभी के लिए पूर्णाहुति के बाद महाप्रसाद की व्यवस्था की गई। वीर केसरी हनुमान के मंदिर के बारे में संस्थान मंत्री डॉ राठौड़ ने बताया कि वीर केसरी बालाजी का स्थान बहुत पुराना है। पहले मूर्ति एकदम सादी और एक कच्चे चबूतरे पर स्थापित थी। श्रद्धालु जव आंगी कराते थे तब चबूतरे को भी दड़-नीप देते थे। सन् 1952 में यहां के पूर्व छात्र और राव सवाई केसरीसिंह जी बिजोलियां के दूसरे भाई ठा. मदनसिंह जी के कुंवर नरेन्द्र सिंह जी ने जनसहयोग से उस पुराने चबूतरे पर ही मूर्ति को बरकरार कायम रखते हुए जीर्णोद्धार करवाया और मकराणा से संगमरमर की बनी-बनाई और छत्री स्थापित करवाई। यहां संस्था की ओर से धूप-दीप की व्यवस्था है। वर्तमान में मंदिर भव्य पूर्ण दण्ड ध्वजा शिखर के साथ शोभायमान हो रहा हैं।

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