नई दिल्ली। जस्टिस जीए सनप ने सेक्शुअल हैरेसमेंट के दो 19 साल के आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा कि किसी लड़की को एक बार फॉलो करना आईपीसी की धारा 354 डी के तहत पीछा करने की श्रेणी में नहीं आता है। कानूनी रूप से लगातार किसी को फॉलो करने को ही अपराध माना जाएगा। सेक्शुअल हैरेसमेंट के दो 19 साल के आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया गया। 14 साल की लड़की का यौन उत्पीड़न करने और जबरन घर में दाखिल होने का आरोप लगाने के मामले में सुनवाई हो रही थी। जस्टिस ने कहा कि किसी लड़की को फॉलो करने की इकलौती घटना को के अपराध नहीं माना जा सकता है। बताया गया कि वर्ष 2020 जनवरी में मुख्य आरोपी ने नाबालिग लड़की का पीछा किया और उससे शादी करने की इच्छा जाहिर की थी। लड़की के मना करने के बाद भी आरोपी नहीं माना। लड़की की मां ने लड़के के परिवार से भी इस बारे में बात की, फिर भी आरोपी ने लड़की को परेशान करना जारी रखा। 26 अगस्त 2020 को आरोपी ने लड़की के घर में घुसकर उसे मुंह दबाया और गलत तरीके से छुआ। दूसरा आरोपी घर के बाहर पहरा देता रहा। ट्रायल कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर कई मामले दर्ज किए। पीछा करना, सेक्शुअल हैरेसमेंट, घर में जबरन दाखिल होना और आपराधिक धमकी देना शामिल है। हाईकोर्ट ने कहा कि पीछा करने का केस सिर्फ एक वाकए के आधार पर दर्ज किया गया है, जब आरोपी ने लड़की का नदी तक पीछा किया था। जस्टिस सनप ने साफ किया कि सेक्शन 354डी के तहत यह जरूरी है कि आरोपी ने लगातार विक्टिम का पीछा किया हो, उसे लगातार देखा हो या फिजिकल या डिजिटल तरीके से उससे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की हो।
कोर्ट ने दूसरे आरोपी को सभी आरोपों से बरी करते हुए कहा कि उसने खिलाफ घर के बाहर खड़े होकर पहरा देने के अलावा कुछ नहीं किया था। इसके साथ ही कोर्ट ने मुख्य आरोपी का दोष बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी की सजा कम कर दी। इसके पीछे कोर्ट ने तर्क दिया कि उसकी उम्र कम है और वह पहले ही कस्टडी में ढाई साल सजा काट चुका है।
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