Site icon 24 News Update

बी एन कन्या इकाई में हिन्दी दिवस पर एन एस एस द्वारा गोष्ठी एवं शैक्षणिक भ्रमण काआयोजन 

Advertisements

हिन्दी हमारे संस्कारों और संस्कृति की भाषा है

24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर। भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय की कन्या इकाई में का अधिकाधिक प्रयोग के संकल्प के साथ हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। महाविद्यालय अधिष्ठाता डाॅ. शिल्पा राठौड़ ने हिन्दी दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिन्दी हमारे संस्कारों एवं संस्कृति की भाषा है। आज भी हमारी आत्मीयता हमारी हिन्दी भाषा से ही व्यक्त होती है। महाविद्यालय की छात्रा कल्पना मीणा ने हिन्दी के विकास में आर्यसमाज के अवदान को विस्तार के साथ रेखांकित करते हुए बताया कि विदेशों में हिन्दी भाषा के प्रसार में आर्यसमाज का योगदान अतुलनीय है। पायल मेनारिया ने बाल कवि बैरागी की कविता हिन्दी अपने घर की रानी की काव्यमय प्रस्तुति दी। डाॅ. अनिता राठौड़ ने हिन्दी दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी भाषा में संबंधांें की जैसी मिठास है व अंग्रेजी में नहीं है। अतः हमें अपने घर परिवार और सभी जगह हिन्दी का प्रयोग करते हुए गर्व का अनुभव करना चाहिए। हिन्दी विभाग के अध्यक्ष  डाॅ. हुसैनी बोहरा ने हिन्दी दिवस के आयोजन के ऐतिहासिक परिपे्रेक्ष्य को स्पष्ट करते हुए हिन्दी का अधिकाधिक व्यावहारिक जीवन में उपयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि लिखित और मौखिक दोनों ही रूपों में हिन्दी भाषा के प्रयोग करने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन प्रो कर्नल शिवसिंह सारंदेवोत, विद्याप्रचारिणी सभा के मंत्री डाॅ महेन्द्र सिंह राठौड़, भूपाल नोबल्स संस्थान के प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ और विश्वविद्यालय के कुल सचिव डाॅ. निरंजन नारायण सिंह ने हिन्दी दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि हिन्दी के प्रयोग में सम्मान समझना चाहिए। यह हमें अपने देश के प्रति समर्पण के भाव को व्यक्त करती है। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डाॅ. कीर्ति राठौड़ ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय संकाय सदस्य एवं विद्यार्थिगण उपस्थित थे। इसके पश्चात् हिन्दी विभाग के विद्यार्थियों एवं एन एस एस के स्वयं सेवकों को गुलाबबाग स्थित नवलखा म्यूजियम के लिए शैक्षणिक भ्रमण के तहत ले जाया गया। अशोक कुमार आर्य ने हिन्दी के विकास में स्वामी दयानंद सरस्वती के अवदान का स्मरण करते हुए कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती गुजराती भाषी होते हुए भी सत्यार्थ प्रकाश की रचना हिन्दी में की है। हमें हिन्दी को गर्व की दृष्टि से देखना होगा तभी हम इसे जीवंत भाषा बनाये रख सकते हैं। इस अवसर पर एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. लोकेश्वरी राठौड़ ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए ऐसे भ्रमण के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि प्रकृति के साहचर्य से हमें प्रेरणा मिलती है।

Exit mobile version