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बांसवाड़ा में कुमार विश्वास बोले- कांग्रेस कहती थी हाथ का बटन दबाओ, केजरीवाल ने कहा झाड़ू का बटन दबाओ, भाजपा कहती थी कोई भी बटन बताओ, जीतेंगे तो हम ही,,,और जीत भी गए

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24 न्यूज अपडेट. बांसवाड़ा। मशहूर कवि कुमार विश्वास ने यहां कुशलबाग मैदान पर शनिवार रात सभी रसों की बारिश की। हजारों दर्शकों व श्रोताओं की मौजूदगी में कवि कुमार की हर कविता के प्रति दीवानगी देखते ही बन पड़ी। तालियों व सीटियों से दाद मिली तो वाहवाही के दौर के बीच रामयण के प्रसंगों से लोग भाव विभोर हो उठे। मौका यहां पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का था। मंच की कमान थामने ही कुमार ने कहा कि 14 वर्ष बाद बांसवाड़ा आया हूं तो ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपनी अयोध्या में आ गया। डॉ. विश्वास ने उसके बाद अपनी लोकप्रिय कविताओं का नजराना पेश किया तो लोगों ने खूब ठहाके लगाए। उन्होंने कहा- राजस्थान में कोटा का कवि सम्मेलन और वहां के श्रोताओं की भीड़ के रिकॉर्ड को भी आज बांसवाड़ा ने तोड़ दिया है। कांग्रेस भी बैठी है, बीजेपी भी बैठी है, इतना समझ लो ये राजनीतिक मंच नहीं, कवियों का मंच है। उनकी कालजयी कविता-कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है, चलो अब लौट चलें रघुराय.. कविताएं सुनाई तो श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई। कवि कुमार विश्वास की कविताओं के बीच मुंबई से आए हास्य कवि दिनेश बावरा ने चुनावों पर तंज कसते हुए कहा- कांग्रेस कहती थी कि हाथ का बटन दबाओ, केजरीवाल कहता था कि झाड़ू का बटन दबाओ। भाजपा कहती थी कि तुम कोई भी बटन बताओ, जीतेंगे तो हम ही, और जीत भी गए। डॉ. विश्वास ने कहा- 1991-92 में इसी कुशलबाग मैदान में जैन समाज की ओर से कवि सम्मेलन था। कवि एकेश ने मुझे बुला लिया था। बृजमोहन तूफान से एक हजार रुपए मांगे तो बोले-बजट नहीं है। मैं बोला-500 ही दे दो। मैंने 500 रुपए में काव्य पाठ किया था। मेरा 500 वाला काव्य समझ लिया होता तो इतना खर्च करके नहीं बुलाया होता। साक्षी तिवारी ने रचना सुनाई- खड़े दुश्मन सीमा पर तो फिर श्रंगार लिखूं क्या, शहीदों की शहादत पर जो आंसू न बहाए तो उनको गद्दार ना लिखूं तो क्या लिखूं। आगरा के रमेश मुस्कान, नोएडा से आए मुमताज नसीम, मुंबई से आए दिनेश बावरा, जबलपुर से सुदीप भोला, लखनऊ से साक्षी तिवारी, नोएडा से अमित शर्मा ने हास्य, वीररस सहित विभिन्न रसों के काव्यपाठों से देर रात तक श्रोताओं को गुदगुदाने के साथ ही देशभक्ति से ओतप्रोत करते हुए बांधे रखा। मेला कमेटी सदस्य व अन्य अतिथियों ने सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी का स्वागत किया गया। सभापति ने कहा- मैं इधर या उधर का नहीं हूं, मैं तो जनता का हूं।

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