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प्रोफेसर अमेरिकासिंह के कार्यों ने दिलाया सुविवि को कुलाधिपति अवार्ड, विरोध के बावजूद प्रो़ सिंह ने लिए थे कई ऐतिहासिके फैसले

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। कहते हैं कि जिस व्यक्ति की परख उसके कार्यकाल में नहीं होती है। अच्छे कामों का क्रेडिट नहीं दिया जाता है, राजनीतिक रूप से परेशान कर दबाने का प्रयास किया जाता है तो उसकी खूबियों का इतिहास लिखा जाता है। बीता वक्त खुद वर्तमान में लौट खूबियों के दस्तावेजों के साथ गवाही देता है। कुछ ऐसा ही हुआ है उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अमेरिकासिंह के साथ। प्रोफेसर सिंह ने अपने कार्यकाल में जो त्वरित गति से निर्णय लिए वो आज सुविवि का मान बढ़ा रहे हैं। कल राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने सुविवि की वर्तमान कुलपति प्रो़फेसर कुलाधिपति पुरस्कार, प्रशस्ती पत्र और ट्रॉफी प्रदान की। यह पुरस्कार सुविवि को सत्र 2021-22 में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय के रूप में चयनित होने पर प्रदान किया। विवि को सर्वश्रेष्ठ का खिताब उत्कृष्ट, शिक्षा, शोध, अनुसंधान गतिविधियों के लिए दिया गया। कुलाधिपति ने इसके लिए विवि व कर्मचारियों को बधाई दी। इस पुरस्कार के मिलने के बाद चर्चा जोरों पर हो रही है कि यह पुरस्कार पूर्व कुलपति प्रोफेसर अमेरिकासिंह के कार्यकाल के दौरान हासिल की गई उपलब्धियों के लिए मिला है और सुविवि को पुरस्कार की खुशियों को बांटते हुए उनके नाम का भी स्मरण कर क्रेडिट अवश्य देना चाहिए। आपको बता दें कि सत्र 2021-22 में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के तत्कालीन कुलपति प्रो अमेरिका सिंह जी ने कई ऐतिहासिक कार्य करवाए। इनमें विश्वविद्यालय कैंपस में संविधान पार्क का निर्माण, राजसमंद के नाथद्वारा के भीलोता में नवीन कन्या महाविद्यालय की स्थापना, विश्वविद्यालय के भव्य मुख्य द्वार की स्थापना, विश्वविद्यालय में तकनीकी पाठ्यक्रम आर्किटेक्चर की स्थापना, कोरोना के दौरान संभाग में एकमात्र संस्थान जिसने 100 वैक्सीनेशन कैंप का आयोजन विश्वविद्यालय कैंपस में आमजन के लिए, आदिवासी संस्कृति से जुड़ाव के लिए मिलाप योजना के तहत कार्य योजना, विश्वविद्यालय में 50 से ज्यादा नए पाठ्यक्रमों की स्थापना, चार नए संकायों की स्थापना, विश्वविद्यालय में खेलों को बढ़ावा देने के लिए 50 से ज्यादा संस्थाओं के साथ एमओयू, कैंपस में ओपन थिएटर की स्थापना, 1 दिन में विश्वविद्यालय में 155 वेबिनारों का आयोजन करके रिकॉर्ड स्थापित करना, राणा प्रताप जयंती पर 150 से ज्यादा संस्थाओं के साथ मिलकर कार्यक्रम का आयोजन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अनेक कार्यक्रम, संविधान पार्क, एक्सटेंशन कैंपस आदि। इसके अलावा सुविवि में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना का श्रेय भी प्रोफेसर सिंह को ही जाता है। इन उपलब्धियों का जिक्र करना इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि कुलपति प्रो. सिंह के कार्यकाल के दौरान ही उदयपुर में उनको लेकर राजनीतिक घमासान भी हुआ था। चम्पा बाग की सुविवि की जमीन पर कब्जे के मामले को उठाते ही पूरी एक राजनीतिक लॉबी उनके खिलाफ हो गई और उसमें भाजपा-कांग्रेस का भेद मिट गया। दोनों लॉबियों ने मिलकर प्रोफेसर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राज्य सरकार की ओर से जब प्रो. अमेरिका सिंह को गुरूकुल विश्वविद्यालय वाले मामले में रिपोर्ट देने का जिम्मा मिला और अनियमितताएं सामने आईं तो विधानसभा में हंगामा हुआ। प्रोफेसर सिंह के खिलाफ लामबंद हुई राजनीतिक और प्रशासनिक लॉबी ने उन्हें निलंबित करवाए माना। उनके खिलाफ एफआईआर तक की बातें होने लगीं। यही नहीं अन्य प्रोफेसरों को भी निलंबित किया गया। साइंस कॉलेज के प्रो जीएस राठौड़ को तो दो-दो बार निलंबित करवाया गया। लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र के स्तर पर हुई जांच के बाद प्रोफेसर अमेरिकासिंह, प्रोफेसर जीएस राठौड सहित अन्य को ना सिर्फ दोषमुक्त किया गया बल्कि निलंबन को भी निरस्त किया गया। हालांकि चंपाबाग की जमीन का मामला अब भी वहीं का वहीं है और आने वाले कुलपतियों में से शायद ही किसी में इतना साहस हो कि राजनीतिक मकड़जाल से पंगा लेकर वो चंपाबाग का मामला उठा सकें। प्रोफेसर सिंह फिलहाल देशभर की अलग-अलग संस्थाओं, थिंक टेंक सहित अन्य जिम्मेदारियों के साथ ही निम्स विवि जयपुर के सलहाकार का पद भी संभाल रहे हैं। प्रोफेसर सिंह से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार सुविवि के सभी कर्मचारियों की कड़ी मेहनत का प्रतिफल है, सबको बधाई।

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