24 न्यूज अपडेट उदयपुर। भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से प्रेमचन्द जयंती की अवसर पर आयोजित परिचर्चा के मुख्य वक्ता डाॅ. ललित श्रीमाली ने प्रेमचन्द का स्मरण करते हुए उनके रचनात्मक अवदान को हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि बताया। उन्होंने कहा कि प्रेमचन्द ने हिन्दी कथा साहित्य को आमजन के साथ जोड़ा और वे सच्चे अर्थों में मानवता के पक्षधर रचनाकार थे। उनकी कहानियां और उपन्यास साहित्य में समाज के सभी वर्गों का चित्रण देखने को मिलता है। प्रेमचन्द का साहित्य आज भी प्रासंगिक है।
इससे पूर्व महाविद्यालय अधिष्ठाता डाॅ. शिल्पा राठौड़ ने स्वागत करते हुए कहा कि प्रेमचन्द की कहानियां आज भी लोगों की स्मृति में है। वे एक बार पढ़े जाने पर उसकी छाप पाठक के मन और मस्तिष्क पर सदा के लिए अंकित हो जाती है। हर भारतीय को उनकी कहानियां और उपन्यास जीवन में एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए।
हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. हुसैनी बोहरा ने प्रेमचन्द के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचन्द ने आमजन की पीड़ाओं और वेदनाओं को आमजन की भाषा में अभिव्यक्त किया है। यही कारण है कि प्रेमचन्द के साहित्य ने सभी को प्रभावित और प्रेरित किया है।
इस अवसर पर विभाग के संकाय सदस्य डाॅ. चन्द्ररेखा शर्मा, डाॅ. कीर्ति चूण्डावत, डाॅ. नरेश कुमार पटेल, डाॅ. मोहन सिंह राठौड़, डाॅ. कंचन राठौड़, डाॅ. परेश द्विवेदी, डाॅ. अनिता राठौड़, डाॅ. नीमा चूण्डावत,डाॅ. पंकज मरमट, डाॅ. युवराज कंवर झाला, डाॅ अनिल कुमार मेनारिया, डाॅ. नरेन्द्र सिंह राणावत, डाॅ. मोनिका राठौड़, डाॅ. भावना झाला सहित विद्यार्थिगण उपस्थित थे।
प्रेमचन्द मानवता के पक्षधर रचनाकार- डाॅ. ललित श्रीमाली

Advertisements
