(इस खबर को गंभीरता से पढिये, पढाइये और मनन कीजिए कि न्याय मिलना कितना मुश्किल हो गया है)


24 न्यू अपडेट उदयपुर। उदयपुर में मीरा नगर स्थित मैग्नस अस्पताल की घोर लापरवाही अब जग जाहिर हो गई है और सीएमएचओ ने जांच के दौरान गंभीर तथ्य आने पर तत्काल प्रभाव से इस अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने पर रोक लगा दी हैं उदयपुर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी अस्पताल को मरीज भर्ती करने से रोका गया है। मामला दस्तावेजों में कांट-छांट का है, मामला एक बच्चे की जिंदगी से खिलवाड़ का है। अधिवक्ता पिता योगेश जोशी की लंबी और अटल लड़ाई में मिली छोटी-छोटी जीत का है। गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का है जो मैग्नेट की तरह से मैग्नस अस्पताल के पक्ष में तब तक झुकी रही जब कि कि बार काउंसिल का दबाव नहीं आ गया। जब तक कि उपर से लताड़ा नहीं गया। उस पुलिससिया सिस्टम का मामला है जहां पर एसपी लेवल पर भी परिवादों को धक्का मार कर थानों में भेज दिया जाता है ताकि परिवादी को चक्कर लगवा कर किसी बड़े और प्रभावशाली व्यक्ति को बचाया जा सके। दबाव में काम करने वाले सिस्टम के खिलाफ यह लड़ाई इसी साल 4 अप्रेल से शुरू हुई जब मैग्नस अस्पताल के खिलाफ परिवाद एसपी साहब को दिया गया। एसपी साहब ने परिवाद 4 तारीख शाम को सुखेर थाने को भेज दिया, सुखेर थाने ने जैसे ही मैग्नस अस्पताल का नाम देखा, मामले को एक महीने तक फुटबॉल बना दिया। परिवादी तक को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया। डाक्यूमेंट ले लिए लेकिन कुछ नहीं किया। तब रेणु एसआई रेणु खोईवाल व थानाधिकारी हिमांशुसिंह के पास यह मामला था। एक अस्पताल की लापरवाही से बच्चे की आंखें चली जाना कोई साधारण मामला नहीं था मगर थाने में मामले की जलेबी किसके कहने पर बनाई गई यह भी जांच का विषय है। पीड़ित अधिवक्ता का कहना है कि इसके बाद वे फिर से एसपी साहब के पास गए लेकिन कुछ नहीं हुआ। उसके बाद 25 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के माध्यम से प्रशासन को बताया। उस पर भी प्रशासन के कान नहीं खड़े हुए। 27 मई को कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया व आश्वासन दिया कि कमेटी बना देंगे लेकिन हुआ कुछ नहीं। चार दिन बाद फिर ज्ञापन दिया। 29 तारीख, 3 जून को धरना दिया, पुतले जलाए, उसके बाद स्थितियां बदलीं। प्रशासन को लगा कि अब कुछ करना ही होगा क्योंकि बार एसोसिएशन ने मामले को टेकअप कर लिया हैं। कलेक्टर ने कमेटी बनाई जिसने जोशी से बयान व दस्तावेज लिए। उसके सात दिन बाद तक रिपोर्ट तक नहीं दी। लगातार ज्ञापन देने के बाद भी यह नहीं पता चला कि जांच का क्या हुआ, रिपोर्ट का क्या हुआ। एक दिन अचानक मीडिया में खबर आई कि कलेक्टर साहब कह रहे हैं कि रिपोर्ट में अस्पताल की ओर से गड़बडी का पता चला है। लेकिन रिपोर्ट प्रार्थी को ना तो दी गई ना ही बताया गया कि क्या हुआ। बाद में आरटीआई लगाने पर पता चला कि 7 जून को ही रिपोर्ट आ चुकी थी। एक्शन 7 जुलाई को किया गया। तब कलेक्टर ने कहा कि फ्रिस्किंग हो रही है। आश्चर्य की बात है कि यह ऐसा कौनसा खुफिया मामला है जिसमें फ्रिस्किंग में एक महीने का समय लग गया। जब आरटीआई से वकील साहब योगेश जोशी को दस्तावेज मिले तो वे चौंक गए। उनके लिए रिपोर्ट में कहीं भी राहत की बात नहीं थी। गोलमाल जलेबी वाली रिपोर्ट तैयार कर दी गई। जोशी का कहना है कि जब जांच कमेटी बनी तब केवल डाक्टर शामिल किए गए, पुलिस अधिकारियों व फोरेंसिक एक्सपर्ट को क्यों शामिल नहीं किया गया जबकि आरोप मैग्नस अस्पताल पर यह है कि उन्होंने डिस्चार्ज दस्तावेजों में उनके पास रखे दस्तावेजों में वो जांच लिख दी जो उन्होंने उनके बच्चे के लिए लिखी ही नहीं थी व इस जांच के नहीं होने से ही बच्चे की आंखें चली गईं। इन सबके बीच मामले में प्रेशर टेक्टिक के तहत आईएमए की ओर से भी ज्ञापन दिया गया। आरटीआई से दस्तावेजों से साफ हो गया कि मैग्नस अस्पताल ने पिछले छह महीने में सामान्य डिलीवरी इतनी कम करवाई है कि गंभीर जांच का विषय है जो डब्ल्यूएचओ के मापदंडों के अनुकूल नहीं है। जोशी ने कहा कि जब कलेक्टर से कहा कि डॉक्टर शिल्पा गोयल और डाक्टर मनेज अग्रवाल पर कार्रवाई होनी चाहिए तथा यह जांच रिपोर्ट ही गलत है तो उन्होंने 15 जुलाई तक इंतजार के लिए कहा और 7 जुलाई को खबर आई कि सीएमएचओ ने पीआरओ के माध्यम से खबर जारी करवाई है व उसमें मैग्नस अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाते हुए पांच दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है। तब तक मरीज भर्ती करने पर रोक लगाई गई है।
इस पूरे मामले में किसी गोयल साहब के दबाव का हवाला बार-बार प्रार्थी वकील साहब ने दिया व कहा कि उनके दबाव के चलते प्रशासन ने ढिलाई बरती। जोशी ने कहा कि यदि वे लगातार बार एसोसिएशन के बेहद वरिष्ठ और सम्माननीय पदाधिकारियों व साथियों के साथ मोर्च पर डटे नहीं रहते तो जांच यहां तक भी नहीं पहुंच पाती। आपको बता दें कि इस बारे में मैग्नस अस्पताल की ओर से दो बार पक्ष आ चुका है व डाक्टर कह चुके हैं कि उनका कोई कुसूर नहीं है व कोई लापरवाही नहीं रही। इस मामले में जिस तरह से पुलिस व प्रशासनिक रूख रहा उसे देख कर आम शहरवासियों को चौकन्ना हो जाना चाहिए। यदि संगठित होकर लगातार विरोध नहीं किया होता तो मामला दबा दिया जाता। यदि पीछे बार एसोसिएशन का सपोर्ट नहीं होता तो बात प्रशासनिक पैंतरों से आई-गई हो गई होती। सूत्रों के अनुसार जब स्थानीय स्तर पर ढिलाई की हद हो गई तब दिल्ली के स्तर पर दबाव आने के बाद प्रशासन हरकत में आया व गोयल साहब के दबाव के बादल छंटे। बहरहाल आज हमने बात की पीड़ित वकील साहब योगेशजी, बार ऐसोसिएशन अध्यक्ष भरतजी जोशी सहित अन्य वकीलों से तो उन्होंने कहा कि पीड़ित को न्याय मिलना चाहिए। जोशी ने कहा कि अस्पताल पर एफआईआर हो, अस्पताल बंद हो। अभी उन्हें न्याय नहीं मिला है। इस मामले में एक और सवाल उठ रहा है कि वकील साहब के मामले के साथ ही मोहम्मद शहादत हुसैन के बेटे का भी मामला था जिसमें लापरवाही की बात कही गई थी। उसकी रिपोर्ट आखिर कहां गई? उस मामले का क्या हुआ? उस जांच रिपोर्ट पर सीएमएचओ क्या एक्शन ले रहे हैं। कुल मिलाकर यही इंप्रेशन जा रहा है कि जिला प्रशासन किसी भी मामले में दबाव के बिना टस से मस नहीं होता, राजनेता नींद में रहते हैं वे गंभीर जनता के मामलों को टेकअप करके उनका फोलोअप नहीं करते हैं, ऐसे में स्थिति मायूस कर देने वाली बन जाती हैं।


Discover more from 24 News Update

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By desk 24newsupdate

Watch 24 News Update and stay tuned for all the breaking news in Hindi ! 24 News Update is Rajasthan's leading Hindi News Channel. 24 News Update channel covers latest news in Politics, Entertainment, Bollywood, business and sports. 24 न्यूज अपडेट राजस्थान का सर्वश्रेष्ठ हिंदी न्‍यूज चैनल है । 24 न्यूज अपडेट चैनल राजनीति, मनोरंजन, बॉलीवुड, व्यापार और खेल में नवीनतम समाचारों को शामिल करता है। 24 न्यूज अपडेट राजस्थान की लाइव खबरें एवं ब्रेकिंग न्यूज के लिए बने रहें ।

Leave a Reply

error: Content is protected !!

Discover more from 24 News Update

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Discover more from 24 News Update

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading