24 न्यूज अपडेट. चित्तौड़गढ़। गोवंश को परिवहन करने के मामले में अपर जिला एवं सेशन न्यायालय क्रमांक 2 के पीठासीन अधिकारी विनोद बैरवा ने सुनवाई कर स्थगन जारी करते किए व गोवंशीय बछड़ों को गौशाला में ही रखे जाने का आदेश पारित किया गया। आदेश में न्यायालय ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और गोवंश भारत का प्रमुख पशु है जिसको भारतीय संस्कृति व समाज में आदर सहित रखा जाता है। जिसके संरक्षण, सुरक्षा, राष्ट्रीय व समाज हित में अतिआवश्यक है, परन्तु असामाजिक तत्वों द्वारा गोवंश का अवैध रूप से भारी मात्रा में विदेशों में वध हेतु जा रहा है, जिसकी रोकथाम किया जाना सभी की जिम्मेदारी है। परन्तु इस ओर कोई भी ध्यान नहीं देते हुए गो रक्षकों को बदनाम करते हुए गो तस्करों का बचाव करने में राजनेता लगे हुए हैं जो एक गंभीर विषय होकर सोचनीय बिन्दू है। आपके बता दें कि 20 अप्रैल शाम को गौरव सोमानी एवं साथी विक्रमसिंह आंजना, अभिमन्यू पाटीदार, शिवलाल आंजना को सूचना मिली कि बछड़ों को चोरी-छिपे नागौर से पशु मेले की आड़ में 400 ट्रकों में विभिन्न राज्यों से ट्रकों के माध्यम से परिवहन करते हुए कत्लखाने ले जाया जा रहा है। पुलिस कंट्रोल रूप व उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई। चित्तौड़गढ़ निम्बाहेड़ा हाईवे की ओर रात 9 बजे श्रीहोटल के पास काफी ट्रकें तिरपाल व रस्से से ढकी हुई थी, व पीछे पाटिये लगे थे, उनको रोककर पूछताछ की। शम्भुपूरा व अन्य थाने का जाप्ता इसके बाद मौके पर आया। तिरपाल हटाकर देखा तो अन्दर गोवंशीय बछड़ों को बेरहमी से ठूस ठूस कर परिवहन कर रहे थे। कई बछड़े घायल हो गए थे। 28 ट्रकों में 336 बछड़ों को गोशालाओं में ले गए व घायल गौवंश की मरहम पट्टी की। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट बनाई गई व न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष इस्तगासा पेश किया गया। न्यायालय में विक्रम आंजना ने राजस्थान गाँवश अधिनियम, 1995 के तहत इस्तगासा पेश भी पेश किया व प्रकरण दर्ज करने की मांग की। थाने की रिपोर्ट पर न्यायालय ने सभी आरोपीगण को 50-50 रूपये का जुर्माना लगाया। बछड़ों को 15-15 हजार रूपये के सुपर्दगीनामे पर मुक्त करने का आदेश दिया। बछड़ों का बचाव करने में श्रीराम गौशाला एवं गो भक्तों ने अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता मुम्बई, रमेशचन्द्र शर्मा प्रतापगढ़, जसवन्तसिंह राठौड़ व प्रेमसिंह पंवार से कानूनी सलाह मशविरा कर अधीनस्थ न्यायालय के आदेश की रिविजन तुरंत ही बनाते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय के समक्ष रिविजन पेश कर दिया व तत्काल स्थगन की मांग की। जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेन्द्रसिंह सिसोदिया ने तुरंत सुनवाई के लिए अपर जिला एवं सेशन न्यायालय क्रमाक 2 को ट्रांसफर कर दी। कोर्ट में पीठासीन अधिकारी ने तुरंत प्रभाव से अधीनस्थ न्यायालय की फाईल तलब की व आगामी आदेश तक पशुओं को सुपर्द करने पर स्टे ऑर्डर जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि जप्तशुदा पशुधन वर्तमान में जिसके पास है, उसी के पास रहेंगे और वर्तमान में कब्जेदार उक्त पशुधन के नियमानुसार भरण पोषण करते हुए उनकी व्यवस्था करेंगे।
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