उच्च गुणवत्ता वाले सौर अनुसंधान तथा सौर खगोलविदों के लिए एनएलएसटी की भूमिका अद्वितीय है-डॉ. जयंत जोशी
दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य समापन।
उदयपुर 2 मई : भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय की संगठक इकाई भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भौतिकी विभाग द्वारा ‘रिसेंट ट्रेड एंड डेवलपमेंट इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी ‘ विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में किया गया। इस उच्च स्तरीय शैक्षिक ज्वलंत एवं वैश्विक विषय पर आधारित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि डॉ. संजीव तिवारी, लॉकहीड मार्टिन सोलर एंड एस्ट्रोफिजिक्स लैबोरेट्री एंड बे एरिया एनवायरमेंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट केलिफोर्निया, यूएसए ने ‘मैग्नेटिक फील्ड ऑफ सन’ विषय पर बोलते हुए बताया कि चुंबकीय क्षेत्र उन चीजों द्वारा निर्मित होते हैं जो चुंबकीय होती है या गतिमान आवेशित कण। जैसे-जैसे सूर्य घूमता है सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं समय के साथ उलझती जाती है। यह उलझे हुए चुंबकीय क्षेत्र सन स्पॉट और सौर गतिविधि जैसे सौर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई ) को जन्म देते हैं। डॉ सोनालिका अग्रवाल, रिसर्च साइंटिस्ट, ग्रेजुएट स्कूल ऑफ़ एडवांस्ड साइंस एंड इंजीनियरिंग, हिरोशिमा यूनिवर्सिटी, जापान ने ‘मेटल ऑक्साइड नैनो स्ट्रक्चर’ के उपयोग को सभी के सामने प्रस्तुत करते हुए बताया कि फोवोकिल्ट प्रभाव, सौर ईंधन, प्रकाश उत्सर्जक, नैनो डिवाइस, लेजर तकनीक आदि का संभावित अनुप्रयोग चिकित्सा, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यावरण,ऊर्जा आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संगोष्ठी अध्यक्ष डॉ. रेणू राठौड़ एवं संगोष्ठी आयोजन सचिव डॉ. देवेंद्र पारीक ने विभिन्न सत्रों में आयोजित कार्यक्रम को विस्तृत रूप से बताते हुए कहा कि डॉ. जयंत जोशी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स, बैंगलोर ने ‘नेशनल लार्ज सोलर टेलीस्कोप’ पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि इसे सौर चुंबकीय क्षेत्र की उत्पत्ति और गतिशीलता से संबंधित प्रमुख वैज्ञानिक मुद्दों की एक श्रृंखला को संबोधित करने के लिए डिजाइन किया गया है। उच्च गुणवत्ता वाले सौर अनुसंधान तथा सौर खगोलविदों के लिए एनएलएसटी की भूमिका अद्वितीय है।प्रो. मुकेश श्रीमाली, डायरेक्टर पेसिफिक यूनिवर्सिटी उदयपुर ने नेचर अवेयरनेस तथा डॉ. मल्केश कुमार पटेल, प्रिंसिपल रिसर्चर, डिपार्टमेंट ऑफ़ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इंचियोन नेशनल यूनिवर्सिटी, साउथ कोरिया ने ‘सॉलिड स्टेट डिवाइसेज’ पर प्रकाश डाला। डॉ.अरुण कुमार अवस्थी, स्पेस रिसर्च सेंटर पीएएस रॉक्ला, पोलैंड ने ‘सन अर्थ कनेक्शन’ की विस्तृत व्याख्या की। इसी क्रम में डॉ. विशाल जोशी, डॉ. कुमार अल्केंद्र प्रताप सिंह, डॉ. एस आर मदन शंकर.प्रो. एस एन ए जाफरी आदि ने उपस्थित मंच से विषय से संबंधित अपने विचारों को सभी के समक्ष साझा किया। संगोष्ठी निदेशक डॉ. रितु तोमर, अधिष्ठाता पी जी स्टडीज डॉ. प्रेम सिंह रावलोत, डॉ. कमल सिंह राठौड़ सहित सभी संकाय सदस्य इसमें उपस्थित रहे। संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक कर्नल प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत, संरक्षक डॉ. महेंद्र सिंह राठौड़, सह संरक्षक मोहब्बत सिंह राठौड़ ने अपने प्रेषित संदेश में सभी को सफल आयोजन पर बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शोधपरक चिंतन एवं मानसिक उद्वेलन से शोधार्थियों लिए अनुसंधान के नए मार्ग एवं नवीन मानक स्थापित होंगे जो भविष्य में विभिन्न क्षेत्रों में पथ प्रदर्शक का कार्य करेंगे। संगोष्ठी समन्वयक डॉ. विमल सारस्वत एवं सह समन्वयक डॉ .निकुंज जैतावत ने देश के विभिन्न राज्यों से आए 125 शोधार्थियों के शोध पत्रों के बारे में जानकारी दी एवं शोधार्थियों ने भी शोधपत्रों के वाचन के साथ ही दो दिवसीय अपने अनुभवों को साझा किया। संगोष्ठी का प्रतिवेदन एवं धन्यवाद भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र पारीक ने प्रेषित किया। संगोष्ठी सदस्य डॉ.लोकेश सुथार एवं सुश्री दीपाली बारेगामा ने बताया कि ओरल प्रेजेंटेशन में प्रथम स्थान पर प्रांजल जोशी, आंचल नलवाया एवं अमीना अबूबाकर, द्वितीय स्थान पर पुष्पेंद्र व्यास तथा तृतीय स्थान पर सुधीर सवासिया विजेता रहे। इसी प्रकार पोस्टर प्रेजेंटेशन में निशांत जोशी, डिंपल एवं सुजातुल हसन समूह में प्रथम स्थान पर रहे, द्वितीय स्थान पर कोमल मालीवाल, कीर्ति सेन, लक्ष्मी प्रसाद तथा तृतीय स्थान पर महेंद्र सिंह रूलानिया विजेता रहे। कार्यक्रम का संपूर्ण संचालन डॉ. प्रवीणा राठौड़ डॉ. रीना मेहता एवं डॉ. तन्वी अग्रवाल द्वारा किया गया।
नैनो स्ट्रक्चर चिकित्सा, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी,पर्यावरण, ऊर्जा आदि संभावित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है-डॉ .सोनालिका अग्रवाल

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