24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। लोग उनकी झोंपड़ी के भाग खोलने को तैयार बैठे हैं। फोन आ रहे हैं कि 1 लाख ले लो, लोकसभा का फारम उठा लो। तुम मैदान में टिक गए तो वोट का बिगाड़ा हो जाएगा। मगर वे कहते हैं कि कुछ भी हो जाए फारम उठाने वाला नहीं हूं। मैं तो झोंपड़ी में रहता हूं, सादा जीवन जीता हूं। जीवन में कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है। किससे डरूं और क्यों डरूं। मैं चुनाव लड़ूंगा और जितनी मेरी क्षमता होगी वोट खिंचूंगा। दोस्तों से मांग कर साइकिल ओर मोटर साइकिल पर प्रचार करूंगा। लोगों से कहूंगा कि भ्रष्ट पार्टियों के चक्करों में वोट बर्बाद मत करो, मुझे वोट दो ताकि मैं भ्रष्टाचार मुक्त शासन में भागीदार बनूं। मैं विचारों से कांग्रेसी हूं लेकिन विश्वास मैं भी मोदीजी के नारे-ना खाउंगा ना खाने दूंगा पर करता हूं। यह विचार हैं उदयपुर लोकसभा सीट से निर्दलीय के रूप में फार्म भरने वाले प्रत्याशी ऋषभदेव के पास पाणीदेर भरदा के रहने वाले प्रत्याशी कानजीलाल डामोर के। कानजी फार्म भरने के बाद से दोनों प्रमुख दलों के लिए बेचैनी का कारण बने हुए हैं। कानजी डामोर का बैंक बैलेंस शून्य है। हाथ में 15 हजार है। पत्नी के बैंक एकाउंट में 12 हजार 954 रूपए हैं। इसके अलावा ना कोई बचत है, ना कोई शेयर है ना कहीं पर कोई देनदारी बाकी है। उनके पास न सोना है न चांदी। पत्नी के पास 1 किलो चांदी के जेवरात हैं। कानजी खेती करते हैं और 8 बीघा जमीन है। मकान के नाम पर उनके पास एक कच्चा केलूपोश मकान है जिसमें वे मेहनतकश परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे हैं। उनके परिवार के पास कोई वाहन नहीं है।
कानजी बताते हैं कि उदयपुर लोकसभा सीट से पर्चा भरने के पीछे कहानी यह है कि जब विधानसभा में टिकट मांगा तो विधायक दयाराम परमार ने कहा कि आप लोकसभा में फार्म भर देना। अबकी बार टिकट मांगा तो नहीं दिया इसलिए निर्दलीय खड़ा हो गया। वे कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में दयारामजी ने कहा कि आप खड़े हो गए तो वोट कट जाएंगे, मैं हार जाउंगा। मैं तो राजनीति में 1988 से हूं। कांग्रेस से राजनीति करते हुए वार्डपंच व उप सरपंच भी रहा, सेवादल में भी रहा लेकिन उसके बाद मुझे आगे नहीं बढने दिया गया। पार्टी में परिवार वाद चल रहा है। पहले नेता फिर उनके रिश्तेदार टिकट पा जाते हैं और कार्यकर्ता हमेशा मुंह ताकता रहा जाता है। ऐसे में मैंने सोचा कि इस बार तो फार्म भरना ही है। अगर मैं निर्दलीय जीत गया तो भी कांग्रेस में चला जाउंगा। जहां तक वोट की बात है तो मैं कम से कम 6 से 8 हजार तक वोट जरूर खिंचूंगा। मैं जीत गया तो पांच साल तक कोई रिश्वत नहीं लूंगा जहां कर्मचारी चाहेगा वहां तबादला होगा, ना खाउंगा ना खाने दूंगा। भ्रष्टाचार को खत्म करूंगा। मुझे राजनीतिक जीवन में ना पंचायत समिति में पद दिया ना जिला परिषद में पद दिया। मैं अपनी ताकत जरूर बताउंगा। अभी हालत ये है कि एक घर में दो दो लोग चुनाव लड रहे हैं। कार्यकर्ता क्या करेंगे, क्या जीवन भर देखते ही रहेंगे। सबको मौका क्यों नहीं एक दो बार लडने के बाद सीट कार्यकर्ता को सौंप देना चाहिए। अब जब मैं मैदान में हूं तो फोन आ रहे हैं…….के ओर वे कह रहे हैं कि 1 लाख ले लो, फारम उठा लो। मुझे रूपए नहीं चाहिए। मैं मैंदान में डटा रहूंगा। जितना प्रयास होगा मैं अपने दम पर करूंगा। दयाराम जी जानते ही हैं कि मैं बार-बार उनको सताता रहता हूं। कांग्रेस वालों की फारम भरते ही नींद खुल गई है, कह रहे हैं कि ये वोट बिगडेंगे। लेकिन अंदर ही अंदर कई कांग्रेसी कह रहे हैं कि फारम मत उठाओ। पेम्पलेट तो आठ तारीख के बाद छपवाउंगा जब मुझे चुनाव का निशान मिल जाएगा। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में किसी से लूटपाट नहीं की। उम्मीद है वोट जरूर मिलेंगे। मेरे साथ कई स्तरों पर अन्याय हुआ है। मेरे कुएं व मकान का सेंक्शन हुआ पैसा लोग खा गए। इसकी शिकायत लोकपाल को कर रखी है। बच्चे के नरेगा के पैसे तक खा गए। मैं सांसद बना तो तस्वीर बदलूंगा।
खेती किसानी करने वाले निर्दलीय प्रत्याशी कानजीलाल डामोर का झोंपड़ी वाला आवास।

