
24 न्यूज़ अपडेट निम्बाहेडा। बिनोता कस्बे के राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय में पढ़ने वाले नन्हे मुन्हे बच्चों में पढ़ने के प्रति इतना जुनून है कि विद्यालय जाने वाले रास्ते मे आने वाले नदी व,नाला पार कर जंगली, झाड़ियों में जहरीले जानवरो के काटने के भय को नजरअंदाज कर जान जोखिम में डालते हुवे विद्यालय में पढ़ने जा रहे है
विद्यालय की अध्यापिका विद्या जटिया ने बताया कि इस विद्यालय आने वाले बच्चों को गाँव से करीब एक किमी दूर है विद्यालय में पढ़ने आने के लिए एक गांगली नदी एवम एक नाला पर करके आना पड़ता है इन दोनों जगह पुलिया नही है बहते हुवे पानी मे से निकल कर आना पड़ता है विद्यालय में आने के लिए रास्ता भी कच्चा है कीचड़ हो रहा है पूरे रास्ते मे कांटेदार झाड़ियां है जहां हमेशा जहरीले जानवर के काटने का डर बना रहता है विद्यालय परिसर के चार दिवारी नही होने से मेविशियो का जमावड़ा लगा रहता है 26 जनवरी 2008 में इस भवन में क्लासों का संचालन प्रारम्भ हुवा था उस समय भी इस मार्ग की ऐसी ही हालत थी जो आज भी बनी हुई है पूर्व सरपँच श्याम लाल जटिया ने बताया कि कार्यकाल 2009 के समय इस मार्ग पर नदी पर पुलिया निर्माण के लिए4 लाख नब्बे हजार रुपये कि स्वीकृत हुई थी राशि प्राप्त नही होने के कारण कार्य प्रारम्भ नही हुवा था करीब दस साल से उस विद्यालय में एक से आठ की क्लास संचालन के लिए एक ही अध्यापिका कार्यरत थी चार दिन पूर्व एक अध्यापक सुनील कुमार जैन की भी नियुक्ति हुई है पूर्व इस विद्यालय का नामांकन 135 बच्चों का था जो हर साल घटते घटते इस वर्ष मात्र 26 बच्चों तक रह गया में विद्यालय भवन में छह कमरे बरामदा भी बना हुवा है मोहल्ले के अभिभावकों ने बताया कि करीब 15 साल से हमारे छोटे छोटे बच्चे जंगल मे होकर नदी और नाले को पार कर जान जोखिम में डाल कर विद्यालय जा रहे है कई बार नदी नाले का बहाव तेज होता है बरसात के समय जहरीले जानवर रास्ते मे नजर आते है विद्यालय में आने वाले रास्ते व विद्यालय भवन के चारो ओर जंगल है आसपास कोई बस्ती नही है जिससे विद्यालय के बच्चों एवम अकेली महिला कर्मचारी को हमेशा किसी भी अनहोनी होने का डर बना रहता है
पूर्व मंत्री श्री कृपलानी उदयलाल आंजना एवम जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को इस स्कूली मार्ग पर पुलिया एवम विद्यालय तक सड़क बनाने के लिए कार्यवाही की गई लेकिन किसी भी प्रतिनिधि प्रसाशनिक अधिकारी ने कोई ठोस कार्यवाही नही की
रास्ते के दुर्दशा को देखकर नामांकन घटता जा रहा है इन बच्चों के साथ कभी भी कोई अनहोनी की इंतजार में प्रशासन बैठा है
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