24 न्यूज अपडेट उदयपुर। उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के पिंजरे से पेंथर के द ग्रेट एस्केप ने पूरे महकमे की नाक में दम कर दिया है। अब तक एस्केप करने वाले पिंजरातोड़ पेंथर के पगमार्ग तक नहीं मिले हैं। संभावना है कि अंदर ही कहीं बायोलोजिकल पार्क में है तो संभावना यह भी है कि करंट के तार वाली फेंसिंग को द ग्रेट जंप लेकर वह पार कर गया हो और अपनी आजादी का आनंद उठा रहा हो। ऐसे में सांसें थमी हुई है कि कहीं हमला न कर दे। कहीं सज्जनगढ़ के आस पास ही विचरण करते हुए किसी टूरिस्ट की जान खतरे में ना डाल दें। सवाल हजारों उठ रहे हैं मगर उससे बड़े सवाल तो उस सिस्टम के हैं जिसमें बेसिक्स भी क्लीयर नहीं है। पिंजरे को चेक तक नहीं किया जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि हद है, पिंजरा तोड़कर पेंथर आखिर भाग कैसे सकता है। यह दिमाग पर बहुत वक्त तक बहुत जोर देने के बाद भी लोगों को हजम नहीं हो रही है कि आखिर ऐसा हो कैसे गया। वनकर्मी पार्क के अंदर वन-वन और पत्ता-पत्ता, बूंटा-बूंटा उसकी तलाश कर रहे हैं। उनको इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उन पर ही छिपकर हमला न कर दे। पिंजरा तोड़ पेंथर ने आज बायोलॉजिकल पार्क में टूरिस्ट की एंट्री बंद करवाते हुए अवकाश करवा दिया है। 24 घंटे बीतने आए हैं मगर चतुर पेंथर हाथ ही नहीं आ रहा है।
अब करते हैं पिंजरे से भागे पेंथर की भागने की स्टोरी का पोस्टमार्टम। उदयपुर में शहर से सटे लखावली गांव से सटी पहाड़ी से मंगलवार शाम को 7 बजे इस पेंथर को पकड़ कर बायोलोजिकल पार्क लाया गया था। रात में हुआ यह कि वनकर्मी अपनी लापरवाही से उस पेंथर को पिंजरे में छोड़कर चलते बने। यहां से बायोलोजिकल पार्क में सब कुछ इल्लोजिकल होना शुरू हो गया। सुबह वापस लौट कर जब देखा तो पेंथर पिंजरे में था ही नहीं। वनकर्मियों का माथा ठनक गया कि आखिर कैसे हो सकता है। इतनी बड़ी लापरवाही को को उन्होंने तुरंत मैनेज करना शुरू कर दिया। दरअसल पेंथर को पकड कर लाने के बाद उसको वहां पर मौजूद पहले से लगाए गए पिंजरों में तुरंत ही शिफ्ट किया जाता है। जैसे कि इमरजेंसी से किसी पेशेंट को वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। यहां पर लापरवाही यह बता रहे हैं कि लखावली गांव से रात को पार्क में लेकर आए पेंथर को अगले दिन तक भी उसी पिंजरे में रहने दिया गया यह समझते हुए कि पिंजरा ही तो है, भागेगा कहां। लेकिन यहां गलती हो गई व उसे द ग्रेट एस्केप का मौका मिल गया। इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह हो गई कि जिस पिंजरे से उसको लाखावली से लाया गया उसमें ऐसा क्या लोचा था कि पेंथर भाग गया। तो बताया जा रहा है कि पिंजरी का एक हिस्सा कमजोर था जो पेंथर की चोट को सहन नहीं कर पाया। जब पिंजरे की हालत ऐसी थी तो सोचिये कि उसको लखावली से पार्क तक लाना कितना रिस्की था। रास्ते में ही पेंथर अपनी सूझबूझ से कमजोर हिस्से को चोट देकर भागता तो वह हमलावर हो सकता था। मतलब वनकर्मी ऐसा लगता है कि पेंथर के पिंजरे को भी चूहे पकड़ने का पिंजरा समझ बैठे थे। यहां से उठाया और वहां पर रख दिया। बिना उसकी जांच किए हुए जो कि हर बार नियमानुसार उन्हें हर हाल में करनी ही होती है। उसकी गुणवत्ता को जांचने वालों पर अब गाज गिरेगी लेकिन बड़े अधिकारी नपेंगे यह मुश्किल ही है। एक और फेवरेबल कंडीशन कही जा सकती है कि कल मंगलवार होने से पूरा पर्का ही बंद था। अगर वर्किंग डे होता तो मुसीबत हो जाती। यदि पेंथर भूख के मारे किसी पर हमला कर देता व किसी की जान ले लेता तो खामख्वाह उस पर आदमखोर होने का टैग लग जाता। अब इस मामले को उपर के स्तर पर मैनेज करने के प्रयास हो रहे हैं। अंदर ही अंदर एस्केप रूट तैयार किया जा रहा है ताकि अधिकारियों को बचाया जा सके और जनता के सामने कोई ऐसी स्टोरी प्लांट की जा सके जिस पर वो यकीन कर सके, जैसा कि कई बार पुलिसवाले फिल्मी कहानियां गढ़ते हैं। इस पेंथर का भागना इसलिए भी गंभीर बात है क्यांंकि अभी आदमखोर का खतरा टला नहीं है। आदमखोर शब्द का अब तक एक भी बार वन विभाग की ओर से प्रयोग नहीं किया गया है। मीडिया व जनता की अदालत में ही यह शब्द घूम रहा है। यदि जो कथित आदमखोर मारा गया वह आदमखोर नहीं हुआ तब क्या होगा और यदि भागा हुआ आदमखोर हुआ तब क्या होगा? अब बताया जा रहा है कि सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की तारबंदी मजबूत है, उसमें करंट भी छोड़ा गया है। लेकिन वह इतनी उंची नहीं है कि पेंथर अपनी द ग्रेट एस्केप वाली छलांग से पार न कर सके। पेंथर बड़ा ही चालाक जानवार है, वह पेड़ पर चढ़कर दूरियां घटाते हुए फेंसिंग पार कर सकता है। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहे हैं कि तत्काल पेंथर को पकड़ने के लिए क्या रणनीति है। इसके अलावा अब लोग यह भी कहने लगे हैं कि पेंथर जो आदमखोर कह दिया गया था उसको पकड़ने के लिए अब तक किना खर्चा हो चुका है, यह भी जनता की अदालत में सामने आना ही चाहिए ताकि पता चल सके कि जनता के जेब से रोज कितना पैसा जा रहा है। यदि वन विभाग के ऐसे ही ढर्रे रहे तो फिर तो हो गया पहाड़ों का संरक्षण और वन्यजीवों रखवाली। जनता को भी जागरूक हो जवाब मांगने जरूर चाहिए।


Discover more from 24 News Update

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By desk 24newsupdate

Watch 24 News Update and stay tuned for all the breaking news in Hindi ! 24 News Update is Rajasthan's leading Hindi News Channel. 24 News Update channel covers latest news in Politics, Entertainment, Bollywood, business and sports. 24 न्यूज अपडेट राजस्थान का सर्वश्रेष्ठ हिंदी न्‍यूज चैनल है । 24 न्यूज अपडेट चैनल राजनीति, मनोरंजन, बॉलीवुड, व्यापार और खेल में नवीनतम समाचारों को शामिल करता है। 24 न्यूज अपडेट राजस्थान की लाइव खबरें एवं ब्रेकिंग न्यूज के लिए बने रहें ।

Leave a Reply

error: Content is protected !!

Discover more from 24 News Update

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Discover more from 24 News Update

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading