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दरिंदों की करतूत : लड़कियों को रोजा रखने और कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया

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24 न्यूज अपडेट, अजमेर। ब्यावर शहर में एक धर्मांतरण गिरोह की दरिंदगी को उजागर करती है, जिसने नाबालिग स्कूली लड़कियों को शिकार बनाया। इस गिरोह ने लड़कियों को ब्लैकमेल करने, उनके साथ अश्लील वीडियो बनाने और धर्मांतरण के लिए मजबूर करने जैसे जघन्य कृत्य किए। यह मामला सामाजिक और कानूनी दोनों स्तरों पर गंभीर चिंता का विषय है।

लड़कियों को टारगेट करना:
गिरोह ने प्राइवेट स्कूल की नाबालिग लड़कियों को निशाना बनाया। ये लड़कियां एक ही मोहल्ले या आसपास के इलाके की रहने वाली थीं। आरोपियों ने लड़कियों को स्कूल जाते समय रास्ते में रोककर उन्हें बहलाया-फुसलाया और उन पर दबाव बनाया कि वे उनके साथ कैफे और होटल में जाएं।

ब्लैकमेल और धर्मांतरण का दबाव:
आरोपियों ने लड़कियों के अश्लील फोटो और वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया। इसके बाद उन पर धर्मांतरण का दबाव डाला गया। लड़कियों को रोजा रखने और कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया।

आरोपियों की पृष्ठभूमि:
गिरोह के सभी आरोपी युवा हैं और उनकी उम्र 19 से 20 साल के बीच है। इनमें से कोई भी स्कूल में नहीं पढ़ता है। ये सभी मजदूरी, वेल्डिंग, पेंटिंग और फर्नीचर का काम करते हैं। इन्होंने लड़कियों के नंबर एक-दूसरे के साथ शेयर किए और सामूहिक रूप से उन्हें शिकार बनाया।

पीड़िता की स्थिति:
पीड़ित लड़कियों में से एक के परिजनों ने बताया कि बच्ची इतनी डरी हुई है कि वह किसी से बात नहीं कर पा रही है। उसे मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट ले जाया गया है। पीड़िता के ताऊ ने बताया कि आरोपियों ने बच्ची को एक मोबाइल फोन दिया था, जिसके जरिए वे उससे संपर्क करते थे।

पुलिस की कार्रवाई:
पुलिस ने अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें रिहान (20), मंसूरी (19), लुकमान (20), अरमान पठान (19), साहिल कुरैशी (19) शामिल हैं। एक नाबालिग को भी डिटेन किया गया है। पुलिस ने एक कैफे संचालक को भी गिरफ्तार किया है, क्योंकि उसका कैफे घटनास्थल था।

सामाजिक प्रतिक्रिया:
मामला सामने आने के बाद स्थानीय समाज के लोगों ने थाने का घेराव किया और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। यह मामला समाज में व्याप्त धर्मांतरण और नाबालिगों के शोषण जैसी गंभीर समस्याओं को उजागर करता है।

अजमेर ब्लैकमेल कांड से समानता:
इस मामले की तरीका 1992 के अजमेर ब्लैकमेल कांड से मिलता-जुलता है। उस समय भी आरोपियों ने नाबालिग लड़कियों को टारगेट कर उन्हें ब्लैकमेल किया था और धर्मांतरण के लिए मजबूर किया था।

कानूनी और सामाजिक पहलू:
इस मामले में आरोपियों पर यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग, धर्मांतरण के लिए दबाव डालने और नाबालिगों के साथ अश्लील सामग्री बनाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। भारतीय कानून के तहत ये सभी अपराध गंभीर श्रेणी में आते हैं और इनकी सजा कठोर हो सकती है।
सामाजिक जागरूकता:
इस मामले ने समाज में नाबालिगों की सुरक्षा और धर्मांतरण जैसी समस्याओं पर चर्चा को फिर से जगा दिया है। यह जरूरी है कि समाज और सरकार मिलकर ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं।
मानसिक स्वास्थ्य:
पीड़ित लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य पर इस घटना का गहरा प्रभाव पड़ सकता है। उन्हें पर्याप्त मनोवैज्ञानिक सहायता और सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

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