– जौहर श्रद्धांजलि समारोह में की शिरकत, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी मुख्य अतिथि के रूप में रही उपस्थित
चित्तौडगढ़। जौहर स्मृति संस्थान चित्तौडगढ़ की ओर से महारानी पद्मिनी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी थीं। अतिथि मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, चित्तौडग़ढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, पूर्व विधायक प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत, जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह विजयपुर उपस्थित थे। अतिथि पूर्व कुलपति प्रो.अमेरिका सिंह एवं सलाहकार निम्स विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति को धन्यवाद ज्ञापित किया। निम्स के प्रतिनिधि के रूप में निम्स हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. पंकज सिंह की ओर से प्रो. सिंह ने की महारानी पद्ममनी को श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व कुलपति प्रो. सिंह ने कहा की आने वाली पीढिय़ां महारानी पद्ममनी के शौर्य और बलिदान की गौरव गाथा पर गर्व करेगी। भारतीय शौर्य एवं पराक्रम की प्रतीक महारानी ने स्वाभिमान और देश के गौरव की रक्षा के लिए स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया। जिससे युवा पीढ़ी महारानी पद्मिनी के संघर्ष से प्रेरणा लें और अपने धर्म, संस्कृति और जीवन मूल्यों को न भूलें। इतिहास को जब स्मरण किया जाता है तो राजपूतों का शौर्य और बलिदान याद आता है। राजपूतों ने कभी समझौता नहीं किया और ना ही कभी जान की परवाह की। भारतीय नारी का प्रतिबिम्ब कभी देखना है तो रानी पद्मिनी में देखा जाना चाहिए। वह स्वाभिमान की रक्षा के लिए धधकते अग्निकुंड में कूद गई थीं। भारतीय नारी अपने सम्मान के लिए राख में तब्दील हो सकती है, ऐसा इतिहास किसी और देश में देखने को नहीं मिलेगा। भारत की पावन धरती में समय-समय पर ऐसी वीरांगनाओं ने जन्म लिया है, जिनकी देश-भक्ति और पराक्रम आज भी हमारे लिए प्रेरणा-स्रोत है। ऐसी वीरांगना महारानी पद्मिनी का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। रानी पद्मिनी के त्याग, बलिदान और पराक्रम के कारण ही देश वासियों को कभी नहीं भुला सकते। जिस हिम्मत और वीरता के साथ महारानी पद्मिनी भारत देश के लिए शौर्य की एक मिसाल बनी, वह अद्भुत है। भारत ने दुनिया को वीरता का पाठ पढ़ाया है। भारत के वीरों ने अपनी गरिमा, आत्म-सम्मान और मातृभूमि के लिए प्राणों का बलिदान दिया है। अपने मान-सम्मान की रक्षा के लिए बलिदान देने की भारतवर्ष की अद्भुत वीरगाथाओं का उदाहरण पूरी दुनिया में नहीं मिलता। मातृभूमि के गौरव और सम्मान की रक्षा के लिए पद्मिनी ने जो बलिदान का इतिहास रचा है, वह देश के युवाओं को युगों-युगों तक गौरवान्वित करता रहेगा।
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