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तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण की मंजूरी दी

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24 न्यूज अपडेट. दिल्ली। मुंबई हमले के दोषी और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। तहव्वुर राणा को 2009 में एफबीआई ने गिरफ्तार किया था। अमेरिकी अदालतों के फैसले में बताया गया कि तहव्वुर राणा ने प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ 13 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 21 जनवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने यह अपील खारिज कर दी। इससे पहले, सैन फ्रांसिस्को की अदालत और नाइंथ सर्किट कोर्ट ने भी राणा की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। तहव्वुर राणा डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है, जो मुंबई हमले का मास्टरमाइंड था। राणा ने जैश और लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर हमले की साजिश रची। उसने हमले के ब्लूप्रिंट तैयार करने, आतंकियों के ठिकाने तय करने और फंडिंग में मदद की। राणा को हमले की प्लानिंग और टारगेट्स के बारे में पूरी जानकारी थी। 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई के कई स्थानों पर हमले किए। 166 लोग मारे गए, जिनमें अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। हमले में ताजमहल होटल, लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट और अन्य स्थानों को निशाना बनाया गया। अजमल कसाब नामक आतंकी को जिंदा पकड़ा गया था और 2012 में उसे फांसी दी गई।
चार्जशीट में राणा का नाम
मुंबई पुलिस की 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा का नाम हमले के आरोपी के रूप में दर्ज है। चार्जशीट के अनुसार, राणा ने आतंकियों को भारत में ठिकाने और मदद उपलब्ध कराई। राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के लिए हेबियस कॉर्पस दायर की थी, जो खारिज हो गई। अमेरिकी अदालतों ने भारत द्वारा पेश किए गए सबूतों को पर्याप्त और पुख्ता माना। प्रत्यर्पण के लिए यह स्पष्ट किया गया कि राणा का अपराध भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के तहत आता है। डेविड हेडली और तहव्वुर राणा की दोस्ती थी। डेविड हेडली, जो अमेरिकी जेल में है, ने मुंबई हमले के टारगेट्स का सर्वे किया था। राणा ने हेडली को आर्थिक मदद दी और आतंकियों को सहयोग पहुंचाने में भूमिका निभाई।
भारत के लिए महत्वपूर्ण
तहव्वुर राणा को भारत लाना मुंबई हमले के दोषियों को सजा दिलाने और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है। यह मामला न केवल भारत की सुरक्षा और न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भी एक संदेश है कि अपराधी बच नहीं सकते।

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