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तनाव को कहो अलविदा क्योंकि न तो अतीत को बदला जा सकता है और न ही भविष्य को पूर्णतः नियंत्रित किया जा सकता : श्री हरि कृपा प्रभु

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। विधि महाविद्यालय, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सभागार में इस्कॉन मंदिर उदयपुर के वैष्णव श्री हरि कृपा प्रभु ने “तनाव प्रबंधन“पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में वर्तमान युग की जीवनशैली, जिसमें भागदौड़, प्रतिस्पर्धा और अनिश्चितताएं प्रमुख हैं, को तनाव का सबसे बड़ा कारण बताया। उनके अनुसार, आधुनिक समाज में हर व्यक्ति अपने समय, ऊर्जा और संसाधनों का सही प्रबंधन नहीं कर पाता, जिसके परिणामस्वरूप जीवन में असंतुलन और तनाव बढ़ता है। श्री हरि कृपा प्रभु ने अपने व्याख्यान में भगवद्गीता के कई श्लोकों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने के लिए आंतरिक शांति और आत्मनिरीक्षण आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि तनाव का मुख्य कारण यह है कि हम अतीत में की गई गलतियों पर पछताते हैं या भविष्य की अनिश्चितताओं से डरते हैं। उन्होंने यह विचार प्रस्तुत किया कि न तो अतीत को बदला जा सकता है और न ही भविष्य को पूर्णतः नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए, वर्तमान में जीते हुए अपने लक्ष्यों की ओर ध्यान केंद्रित करना ही सबसे बेहतर समाधान है।
व्याख्यान के दौरान उन्होंने वास्तविक जीवन के कई प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किए, जिनसे यह समझने में मदद मिली कि विषम परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने समझाया कि असफलता केवल एक अनुभव है, जिससे सीख लेकर व्यक्ति और अधिक मजबूत बन सकता है। श्री हरि कृपा प्रभु ने यह भी बताया कि हमें अपने जीवन की प्राथमिकताओं पर ध्यान देना चाहिए और दूसरों को प्रभावित करने या उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने के दबाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि सच्ची खुशी और मानसिक शांति तभी मिलती है जब हम अपनी आंतरिक योग्यता को पहचानते हुए आत्म-विकास की ओर कदम बढ़ाएं। अपने संदेश को अधिक सशक्त बनाने के लिए उन्होंने भगवद्गीता के संदेशों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया और बताया कि कैसे इनमें छुपे ज्ञान का पालन करके व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकता है। इस प्रेरणादायक व्याख्यान ने न केवल विद्यार्थियों बल्कि अन्य सभी उपस्थितजनों को भी गहराई से प्रभावित किया और उन्हें तनाव से मुक्त जीवन जीने की दिशा में प्रेरित किया।
अंत में, उन्होंने यह प्रेरणादायक संदेश दिया कि जीवन में सबसे बड़ी सफलता वही है, जब व्यक्ति अपनी मानसिक और आत्मिक शांति को कायम रखते हुए अपने उद्देश्यों को प्राप्त करे। उनके विचार और अनुभव सभी श्रोताओं के लिए प्रेरणा का एक अद्भुत स्रोत बने। इस अवसर पर विधि महाविद्यालय के सहायक अधिष्ठाता डॉ. शिल्पा सेठ, सह आचार्य डॉ राजश्री चौधरी, सहायक आचार्य डॉ. पी. डी. नागदा, डॉ. कल्पेश निकावत, सहायक आचार्य पंकज मीणा, डॉ प्रभा दया, अतिथि संकाय सदस्य डॉ. पंकज भट्ट सहित कई अन्य प्राध्यापक और करीब 400 विद्यार्थी उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉ. स्नेहा सिंह ने किया।

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