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डॉ. डी.एस. कोठारी की शिक्षा नीति आज की शिक्षा नीति का मूल – प्रो. सारंगदेवोत

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। वैज्ञानिक एवं स्वप्न दृष्टा डॉ. डी.एस. कोठारी की 118वीं जयंती पर शनिवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विवि के सभागार में पुष्पांजली सभा एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता करते हुए कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि देश में जो भी शिक्षा नीतियां बनी उसकी बुनियाद में डॉ. कोठारी का मूल तत्व निहित है , अगर उनकी बनाई नीति का क्रियान्वयन ससमय किया जाता तो आज देश कईं ज्यादा ऊंचाइयों पर होता । वे असल में युग दृष्टा थे, जो योजना उन्होंने दी वर्तमान में उसे ही महत्व मिला। उन्होंने मातृभाषा व त्रिभाषा फॉर्मूला देकर सामाजिक दक्षता, एकता व समता का बीज मंत्र दिया, जिससे विद्यार्थी अन्तःकरण में छिपी क्षमताओं को बाहर विकसित कर सके। देश की शिक्षा और रक्षा के क्षेत्र में डॉ. डी. एस. कोठारी का योगदान विकसित भारत के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने कहा कि शान्ति , अहिंसा, सामाजिक समरसता और वैश्विक एकता के स्वप्न दृष्टा के सम्मुख जब राष्ट्र रक्षा की चुनौती आन पड़ी, तब तारा भौतिकी में अपने विशेष ज्ञान का प्रयोग कर डॉ. कोठारी ने ऐसे आयुध का आविष्कार किया, जिससे भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत की सेना ने इसी आयुध से पाक सेना के पेटन टैंकों को नष्ट कर दिया।
इस अवसर पर कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. भवानी पाल सिंह राठौड, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, निजी सचिव केके कुमावत, जितेन्द्र सिंह, डॉ. हेमंत साहू, लहरनाथ, डॉ. यज्ञ आमेटा, भगवती लाल श्रीमाली, विजयलक्ष्मी सोनी, विकास, डॉ. ललित, सहित कार्यकर्ताओं ने डॉ. कोठारी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।

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