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- हॉस्पिटल, जयपुरः न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि, रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) से अब तक का सबसे बड़ा ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला गया
24 न्यूज अपडेट. जयपुर। जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल की न्यूरोसर्जरी टीम ने एक जटिल ऑपरेशन कर एक महिला मरीज की जान बचाई। ऑपरेशन में ब्रेन स्टेम से लेकर रीढ़ की हड्डी के डी5 तक फैले ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया। डॉक्टरों के अनुसार, यह अब तक का सबसे बड़ा इंट्रामेडुलरी ट्यूमर है जिसे सफलतापूर्वक हटाया गया है और इसे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा। जयपुर की 30 वर्षीय लवीना को पिछले छह महीनों से चलने में परेशानी हो रही थी। उनके हाथ-पैरों में कमजोरी आ गई थी और कई बार वह चलते-चलते गिर जाती थीं। जब जांच करवाई गई तो एमआरआई में पता चला कि ब्रेन स्टेम से लेकर रीढ़ की हड्डी के डी5 तक एक बड़ा ट्यूमर फैला हुआ था। डॉक्टरों ने इसे बेहद जोखिम भरा मामला बताया और कहा कि ऑपरेशन के बाद लकवे की 99 फीसदी संभावना है। परिवार ने जयपुर और दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में परामर्श लिया, लेकिन सभी ने ऑपरेशन को अत्यधिक जोखिम भरा बताया। अंततः उन्होंने एसएमएस हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. अचल शर्मा और डॉ. गौरव जैन से संपर्क किया।
ऑपरेशन का समयः 8-9 घंटे
मरीज को 26 जनवरी को एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और आठ से नौ घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया। इस ऑपरेशन में रीढ़ की हड्डी को सिर से लेकर आधे धड़ तक पीछे से काटा गया। ट्यूमर को हटाने के बाद हड्डी को वापस जोड़ा गया और उसे जोड़ने के लिए आठ से दस स्क्रू लगाए गए। ऑपरेशन के दौरान न्यूरोलॉजिकल मॉनिटरिंग का विशेष ध्यान रखा गया ताकि मरीज को न्यूनतम नुकसान हो।
अब तक के इतिहास का सबसे बड़ा ऑपरेशन
अब तक के चिकित्सा इतिहास में किसी मरीज से इतना बड़ा इंट्रामेडुलरी ट्यूमर नहीं निकाला गया था। इससे पहले सबसे बड़ा ट्यूमर डी4 तक फैला हुआ था, लेकिन लवीना का ट्यूमर डी5 तक फैला हुआ था। इस उपलब्धि को अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल ऑफ न्यूरोसर्जरी में प्रकाशन के लिए भेजा गया है।
न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एक नई मिसाल
ऑपरेशन के बाद लवीना तेजी से स्वस्थ हो रही हैं और शनिवार को उन्हें एसएमएस हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी स्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है और वह जल्द ही पूरी तरह से ठीक हो जाएंगी। इस ऑपरेशन से यह साबित होता है कि भारत में चिकित्सा विज्ञान लगातार प्रगति कर रहा है और अत्यंत जटिल सर्जरी भी सफलतापूर्वक की जा सकती हैं। एसएमएस हॉस्पिटल की इस उपलब्धि ने न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है, जो भविष्य में अन्य जटिल सर्जरी के लिए प्रेरणा बनेगी।
डॉक्टरों की टीम
डॉ. अचल शर्मा (न्यूरोसर्जरी विशेषज्ञ), डॉ. गौरव जैन (न्यूरोसर्जन), डॉ. मधुर, डॉ. हर्षिल, डॉ. सागर, डॉ. शोभा पुरोहित (सहायक सर्जन), एनेस्थीसिया विशेषज्ञः डॉ. नीलू शर्मा
कैसे शुरू हुई बीमारी?
जयपुर की रहने वाली लवीना पिछले 6 महीनों से शारीरिक असंतुलन (पउइंसंदबम) और कमजोरी से जूझ रही थीं। धीरे-धीरे चारों हाथ-पैर में हल्का लकवा (चंतजपंस चंतंसलेपे) आने लगा। चलते-चलते गिरने लगीं और दिन-ब-दिन उनकी हालत बिगड़ती गई। जब उन्होंने कई प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इलाज करवाया लेकिन राहत नहीं मिली।जांचों में पता चला कि उनकी रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) में ब्रेन स्टेम से क्5 तक एक बड़ा ट्यूमर (गांठ) फैला हुआ है। ऑपरेशन 8-9 घंटे तक चला और इसमें कई जटिल प्रक्रियाएं अपनाई गईं। रीढ़ की हड्डी को सिर से लेकर आधे धड़ तक पीछे से काटा गया ताकि ट्यूमर तक पहुंचा जा सके। ट्यूमर को सावधानीपूर्वक स्पाइनल कॉर्ड से अलग किया गया। रीढ़ की हड्डी को पुनः अपनी जगह पर सेट करने के लिए 8-10 स्क्रू लगाए गए। सर्जरी के दौरान न्यूरोलॉजिकल मॉनिटरिंग का विशेष ध्यान रखा गया ताकि किसी भी तंत्रिका को नुकसान न पहुंचे।
न्यूरोसर्जरी में ऐतिहासिक उपलब्धि
यह केस न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। पहली बार ब्रेन स्टेम के मेड्युला से डी5 तक फैले ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाया गया है। इससे पहले सबसे बड़ा ट्यूमर डी4 तक का ही निकाला गया था।

