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डिपोर्टेड भारतीयों को विमान में 40 घंटे तक हाथ-पैर चेन से बांधकर रखा, बायोमीट्रिक स्कैन लिए, अब नहीं जा सकेंगे विदेश

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24 न्यूज अपडेट. नेशनल डेस्क । अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों को लेकर यूएस मिलिट्री का सी-17 विमान 5 फरवरी को अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा था। यह पहली बार था जब डिपोर्टेशन के लिए सैन्य विमान का इस्तेमाल किया गया। इस यात्रा में 40 घंटे का सफर तय किया गया, जिसमें चार बार रीफ्यूलिंग स्टॉप लिया गया। डिपोर्ट किए गए भारतीयों में पंजाब के 30, हरियाणा के 33 और गुजरात के 33 लोग शामिल थे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी थे, जिनमें 13 नाबालिग और एक चार साल का बच्चा भी था। अमेरिकी अधिकारियों ने इन प्रवासियों के हाथ-पैर चेन से बांध दिए थे। उन्हें वॉशरूम तक निगरानी में ले जाया गया और बंधे हाथों की हालत में ही खाना खाना पड़ा। यात्रा के दौरान उन्हें विमान से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी गई। यूएस बॉर्डर पेट्रोल चीफ माइकल बैंक ने इस मिशन को अब तक की सबसे लंबी डिपोर्टेशन फ्लाइट बताते हुए कहा कि अवैध रूप से सीमा पार करने वालों को वापस भेजा जाएगा।
डिपोर्टेशन का यह मिशन ट्रम्प प्रशासन की अवैध अप्रवासियों के खिलाफ सख्ती का नतीजा है। डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर हस्ताक्षर करके अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करने की प्रक्रिया तेज की थी। उनका मानना है कि ऐसे प्रवासी अमेरिका में अपराध बढ़ाने और नौकरियों पर कब्जा करने के लिए जिम्मेदार हैं। सैन्य विमान के प्रयोग से इस डिपोर्टेशन में लगभग छह करोड़ रुपए का खर्च आया, जो चार्टर्ड फ्लाइट से छह गुना अधिक है।
डिपोर्ट किए गए लोगों के बायोमीट्रिक स्कैन लिए गए हैं, जिससे वे अब अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन समेत 20 अन्य देशों में कभी प्रवेश नहीं कर पाएंगे। अमृतसर एयरपोर्ट पर इनका वैरिफिकेशन किया गया और फिर इन्हें पुलिस की गाड़ियों से उनके घर भेजा गया। पंजाब के मंत्री कुलदीप धालीवाल ने अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचकर इन लोगों से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे अपनी आगामी अमेरिका यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प से इस मामले को उठाएं।
संसद में हुआ हंगामा
अमेरिका से भारतीयों को बेदखल करने के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को संसद में बयान दिया। जयशंकर ने राज्यसभा में कहा- अमेरिका से भारतीयों का डिपोर्टेशन पहली बार नहीं है। यह 2009 से हो रहा है। हम कभी भी अवैध मूवमेंट के पक्ष में नहीं हैं। इससे किसी भी देश की सुरक्षा में खतरा पैदा हो सकता है। उधर कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा- हमारे नागरिकों के साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया गया। भारतीयों के डिपोर्टेशन मुद्दे पर संसद में पूरे दिन हंगामा रहा। विपक्षी सांसदों ने ’सरकार शर्म करो’ के नारे लगाए। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा- आपकी चिंता के बारे में सरकार को मालूम है। ये विदेश नीति का मुद्दा है। विपक्षी सांसदों ने बाहर आकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कुछ सांसद हाथों में हथकड़ी पहने नजर आए। पोस्टर भी लहराए जिसमें लिखा था- बेड़ियों में हिंदुस्तान, नहीं सहेंगे ये अपमान।

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