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झूठ का धुआं, फरेब का गुबार, तंबाकू लाइसेंस खुद देती है सरकार और हर साल आज के दिन मनता है “तंबाकू निषेध दिवस”

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। आज 31 मई है, विश्व तंबाकू निषेध दिवस। देशभर में तंबाकू के दुष्प्रभावों पर सरकार और स्वास्थ्य संस्थान लोगों को आगाह करने में जुटे हैं। टीवी चैनलों पर बड़े-बड़े विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं, “तंबाकू से होने वाली बीमारियों से बचें,” “स्वस्थ जीवन के लिए तंबाकू छोड़ें,” और स्कूल-कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सब जगह यही सन्देश है – तंबाकू से दूरी बनाओ, अपनी जान बचाओ।
लेकिन यह भी सोचने वाली बात है कि जिस तंबाकू को सरकार दिन-रात हानिकारक बताती है, वही तंबाकू सरकार के लाइसेंस के तहत ही बाज़ार में आता है। हाँ, यह सच है कि भारत सरकार तंबाकू उत्पादों के उत्पादन, बिक्री और निर्यात के लिए खुद लाइसेंस देती है। यानी तंबाकू बेचने वाली दुकानें, कंपनियां, वे सब सरकार की अनुमति से ही काम करती हैं। इसे लेकर कोई गुप्त बात नहीं, यह पूरी तरह कानूनी है और सरकार इससे भारी राजस्व भी वसूलती है।
यहां तो मज़ेदार विरोधाभास है – एक तरफ सरकार सालाना करोड़ों का टैक्स तंबाकू से वसूलती है, वही दूसरी तरफ विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाकर लोगों को तंबाकू छोड़ने की सलाह देती है। जैसे कोई डॉक्टर मरीज को ज़हर की दवा देते हुए कहे, “इसे मत लेना, ये आपके लिए हानिकारक है।”
सरकार की यह नीति बिल्कुल वैसी ही है जैसे घर के दरवाज़े पर ताले लगाकर चाबी बाहर ही रख देना। क्योंकि जब तक तंबाकू उद्योग को पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा, तब तक तंबाकू की बिक्री थमेगी नहीं, और जनता सुरक्षित नहीं हो पाएगी। लेकिन प्रतिबंध का मतलब होगा कि सरकार को भारी राजस्व से हाथ धोना पड़ेगा। शायद इसी कारण तंबाकू उद्योग पर एक तरह की “सरकारी छूट” बनी रहती है।
वास्तविकता यह भी है कि तंबाकू से होने वाली बीमारियों और मौतों का बोझ हर साल देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी पड़ता है, लाखों लोगों की जान जाती है, मगर इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार तंबाकू से वसूले गए टैक्स पर निर्भर रहती है। इसलिए तंबाकू निषेध दिवस पर लगाई जाने वाली घोषणाएं, जागरूकता अभियान और बड़े-बड़े पोस्टर बस एक दिखावा बनकर रह जाते हैं।
इस दुविधा को दूर करने के लिए जरूरी है कि सरकार न केवल तंबाकू के स्वास्थ्य खतरों के खिलाफ कठोर कदम उठाए, बल्कि तंबाकू उत्पादन और बिक्री पर प्रभावी नियंत्रण भी सुनिश्चित करे। तभी तंबाकू छोड़ने का संदेश जनता के दिलों तक पहुंच पाएगा और केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रह जाएगा। वरना यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा — सरकार धुएं में लिपटी नीति बनाएगी, तंबाकू के कारण मौतों पर अफसोस जताएगी, लेकिन राजस्व के लालच में ही तंबाकू को लाइसेंस देती रहेगी और साल में एक दिन “तंबाकू निषेध दिवस” मनाकर जनता को सलाह देती रहेगी कि तंबाकू छोड़ो।

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