24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। भारत और नेपाल में सफल संस्करणों के बाद वर्ल्ड हेरिटेज आर्ट फेस्टिवल अब अपने आगामी उत्सव में भारत और श्रीलंका को सांस्कृतिक भागीदार के रूप में शामिल कर रहा है। यह कार्यक्रम आगामी 19 दिसम्बर से शुरू होगा जो 22 दिसम्बर तक अर्बन स्क्वायर मॉल, उदयपुर में होगा। वर्ल्ड हेरिटेज आर्ट फेस्टिवल 2024 भव्य कला और सांस्कृतिक महोत्सव है जो चार दिनों तक चलेगा और प्रदर्शनी, प्रदर्शन, कार्यशालाएं, चर्चाएं और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करेगा। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाली कला प्रदर्शनियों में स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के विविध कला रूपों और माध्यमों का प्रदर्शन किया जायेगा। साथ ही भारत, श्रीलंका और अन्य देशों के पारंपरिक एवं समकालीन कला रूपों का प्रदर्शन किया जाएगा। सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए इंटरएक्टिव और व्यावहारिक सत्र, जो विशेषज्ञ कलाकारों द्वारा संचालित होंगे। इस दौरान कला संरक्षण, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और धरोहर संरक्षण जैसे विषयों पर संवाद भी होगा। यह एक सांस्कृतिक आयेजन है जिसका उद्देश्य रचनात्मकता को बढ़ावा देना, लोगों को जोड़ना और वैश्विक धरोहर को प्रदर्शित करेगा। कला की शक्ति का प्रमाण है, जो लोगों को प्रेरित करती है, शिक्षित करती है और विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट करती है। भारत और श्रीलंका के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हुए, वर्ल्ड हेरिटेज आर्ट फेस्टिवल इन देशों के साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धागों को उजागर करता है, साथ ही उनकी विशिष्ट पहचान का भी उत्सव मनाता है। आगामी उत्सव में भारत और श्रीलंका को सांस्कृतिक भागीदार के रूप में शामिल कर रहा है।
द आर्ट पिवट के बारे में
द आर्ट पिवट, 2009 में स्थापित, एक अग्रणी गैर-लाभकारी संगठन है जो कला, संस्कृति और समुदाय के बीच सेतु का काम करता है। अपनी स्थापना के बाद से, द आर्ट पिवट ने रचनात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देते हुए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात कलाकार प्रो. राजेश कुमार यादव द्वारा स्थापित यह संगठन कलाकारों, डिज़ाइनरों, क्यूरेटर्स, कला कार्यकर्ताओं और कला प्रेमियों को एक वैश्विक मंच प्रदान करता है, जहां वे आपस में संवाद और सहयोग कर सकें। अपनी कलात्मक गतिविधियों के माध्यम से समाज को समृद्ध बनाने के दृष्टिकोण के साथ, द आर्ट पिवट ने अब तक 60 से अधिक अंतरराष्ट्रीय कला कार्यक्रम और आदान-प्रदान के माध्यम से सीमाओं के पार सांस्कृतिक प्रशंसा को बढ़ावा दिया है।
संस्थापक
प्रो. राजेश कुमार यादव, द आर्ट पिवट के संस्थापक और प्रेरणास्रोत हैं। एक अंतरराष्ट्रीय कलाकार के रूप में उनके व्यापक अनुभव और भारतीय संस्कृति के प्रति गहरे जुड़ाव ने उन्हें समकालीन कला को बढ़ावा देने के साथ पारंपरिक रूपों के संरक्षण का समर्थक बनाया है। उनकी कला आधुनिक इम्प्रेशनिज़्म और सांस्कृतिक धरोहर को खूबसूरती से जोड़ती है, जिससे वह कला के माध्यम से सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने के सशक्त पक्षधर बनते हैं। प्रो. यादव का मानना है कि कला समाज को जोड़ने, इतिहास को प्रतिबिंबित करने और विविधता का उत्सव मनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रोजेक्ट हेड भास्कर चौधरी ने बताया कि प्रमुख आकर्षणः कला प्रदर्शनियाँः स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के विविध कला रूपों और माध्यमों का प्रदर्शन करना होगा। भारत, श्रीलंका और अन्य देशों के पारंपरिक एवं समकालीन कला रूपों का प्रदर्शन होगा। सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए इंटरएक्टिव और व्यावहारिक सत्र, जो विशेषज्ञ कलाकारों द्वारा संचालित होंगे। पैनल चर्चा एवं संगोष्ठियों के तहत कला संरक्षण, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और धरोहर संरक्षण जैसे विषयों पर संवाद। कला प्रदर्शन में प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा रियल टाइम क्रिएटिव प्रक्रियाओं का लाइव प्रदर्शन। बाल कला कोना में बच्चों के लिए विशेष कार्यशालाएँ और गतिविधियाँ, जो उनकी रचनात्मकता को प्रोत्साहित करेंगी। नेटवर्किंग के अवसर के तहत कलाकारों, क्यूरेटर, कला संग्राहकों और कला प्रेमियों के बीच संवाद और संबंध। पुरस्कार समारोहः समापन समारोह में उत्कृष्ट कलाकारों, भागीदारों और सांस्कृतिक योगदानकर्ताओं को सम्मानित किया जाएगा।
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