24 न्यूज अपडेट जयपुर। निम्स विश्वविद्यालय के प्रो.चांसलर प्रो.अमेरिका सिंह नें वेस्ट अफ्रीका के बेनिन और टोगो शहर में 23 से 28 तक हुई 6 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय बैठक में अपनी सहभागिता निभाई। वैश्विक शिक्षा समुदाय को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि मंडल व शिक्षा जगत के दिग्गजों ने प्रतिभागी की। मार्स द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक सहयोग और सांझेदारी, द्विपक्षीय संबंधो को मजबूत करना, उच्च शिक्षा में निवेश को बढ़ावा देना, अंतराष्ट्रीय शैक्षिक नीतियो का सफल क्रियान्वयन सहित कई विषयों पर चर्चा हुई। इस अवसर पर प्रो. सिंह नें बेनिन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और बेनिन में भारतीय उच्चायोग, सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में स्थानीय उद्यमियों और उद्योग जगत के नेताओं के साथ बेनिन-भारत व्यापार मंच के साथ आयोजित बैठक, कार्यशालाओं और विभिन्न मंचों पर भारत में उच्च शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य पर गहन विचार विमर्श किया। उन्होंने अफ्रीका के विभिन्न उच्च संस्थानों और विश्वविद्यालयों का आधिकारिक दौरा भी किया और स्थानीय शिक्षाविदों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों से भी वार्ता की। प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रो. सिंह नें भारत में उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण की उज्वल संभावनाएं और इससे जुड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और अपने सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने निम्स विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न अंतराष्ट्रीय अकादमिक पाठ्यक्रमों, एमओयू एवं अंतराष्ट्रीय शैक्षिक सहयोग के बारे में अफ्रीकी देश के प्रतिनिधियों को अवगत और देश में अंतराष्ट्रीय शैक्षिक आदान-प्रदान, नवाचार, वैश्विक शोध और अनुसन्धान के नवीन अवसरों को लेकर व्यापक चर्चा भी की। दो देशों के उच्च शिक्षा को लेकर द्विपक्षीय से संबंधों को मजबूती और गति देने की दिशा में यह बैठक अति महत्वपूर्ण रही।
वैश्विक मंच पर चर्चा के दौरान प्रो. चांसलर प्रोफेसर अमेरिका सिंह ने कहा की वैश्विक मंच पर उच्च शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सांझेदारी देशों के बीच मजबूत अंतर्संबंधों के विकास और पारस्परिक निर्भरता एवं बढ़ते आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देता है। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) -2020 के अनुरूप भविष्य में भारत की उन्नति और शैक्षणिक विकास के लिए उच्च शिक्षा का अंतराष्ट्रीय विकास किया जाना अत्यंत आवश्यक हैं। इससे न केवल शिक्षा के स्तर में सुधार होगा बल्कि वैश्विक संदर्भ में विद्यार्थी भी सशक्त होंगे और उच्च शिक्षा के अंतराष्ट्रीय मंच पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे। अंतराष्ट्रीय सहयोग से भारतीय विद्यार्थियों को विश्व स्तरीय शिक्षा सुलभ होगी और अनुसंधान के असीमित अवसर प्राप्त होंगे जिससे उन्हें अन्य देशों के शैक्षणिक, सांस्कृतिक और सामजिक अंतर को पाटने में मदद मिलेगी। इससे विद्यार्थियों को नए विचारों से अवगत होने और देश की संभावित सांस्कृतिक क्षमता को बढ़ाने के नए अवसर प्राप्त होंगे। आज दुनिया को एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीयकरण शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है जो शिक्षा व्यवस्था में अपेक्षित सुधारों के साथ सकारात्मक बदलाव ला सके। बेहतर शैक्षणिक गुणवत्ता के साथ अंतर्राष्ट्रीय छात्र नामांकन में वृद्धि की जा सकती हैं। नई शिक्षा नीति में कई अपेक्षित सुधार किए गए हैं, जिनका उद्देश्य हमारे छात्रों, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों को सही दक्षताओं और क्षमताओं से लैस करके और एक जीवंत नए भारत के लिए एक सक्षम और पुनर्जीवित शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करके एक आदर्श बदलाव लाना है। यह नीति अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सस्ती कीमत पर भारत को एक शीर्ष स्तरीय अध्ययन स्थल के रूप में विकसित करेगी। जिससे भारत के विश्व गुरु के रूप में इसकी स्थिति फिर से स्थापित हो सके।
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